राज्य पुरस्कार पर उठे सवाल : ससुर के नाम जमीन का रिकार्ड, बहू पा गईं प्रगतिशील किसान अवार्ड
भूमिहीन महिला का नाम राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए भेजने पर कृषि विभाग के अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं।
बरेली, जेएनएन : पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह के जन्मदिवस पर 23 दिसंबर को लखनऊ में रामनगर ब्लॉक की जिस महिला को राज्यस्तरीय प्रगतिशील किसान अवार्ड से नवाजा गया, उसके नाम तहसील में कोई जमीन ही नहीं दर्ज है। बुधवार को गांव के भू-राजस्व दस्तावेज की जानकारी करने पर यह पर्दाफाश हुआ। जिस छह बीघा भूमि पर मटर की खेती का दावा किया गया है वह उनके पति के नाम भी नहीं, बल्कि ससुर के नाम दर्ज है। ऐसे में भूमिहीन महिला का नाम पुरस्कार के लिए भेजने पर कृषि विभाग के अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। वहीं, गांवों में तमाम चर्चाएं शुरू हो गई है। क्षेत्रीय किसान एक जनवरी को तहसील दिवस में इस फर्जीवाड़े की शिकायत करने की तैयारी में हैं।
सिर्फ महिला को क्यों दिए मटर के बीज...?
यह पुरस्कार रामनगर ब्लॉक के एक गांव निवासी महिला को लखनऊ में दिया गया था। कृषि विभाग ने 2017 में फसल प्रदर्शन के लिए आंवला क्षेत्र में कुल 15 कृषकों को छांटा था। पड़ताल में सामने आया कि इनमें से 14 अन्य किसान पुरुष थे। इन सभी को गेहूं का बीज मुहैया कराया गया था। केवल महिला का नाम रजिस्टर रिकॉर्ड में चढ़ाकर मटर का उन्नत बीज पंत-14 उनके परिवार को दिया था। अकेले महिला के खेत में ही मटर की खेती कराके, उसके ही नाम की सिफारिश लखनऊ तक भेजी गई थी। जबकि पूरे आंवला तहसील क्षेत्र में ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं, जो खुद कृषक हैं और खेती करवाती हैं। आरोप है कि इन्हें कृषि विभाग की फसल प्रदर्शन योजना में मौका ही नहीं दिया गया।
ये हैं नियम
विभाग में निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन करना होता है। जब फसल पकने की स्थिति में होती है तब बीटीएम या टीए क्रॉप कटिंग के आधार पर उपज का आकलन होता है। रिपोर्ट जिला कृषि अधिकारी के पास भेजी जाती है। जिले से पुरस्कार के लिए नाम की संस्तुति कर राज्य मुख्यालय भेजी जाती है।
अनियमितता हुई है तो दिखवाएंगे मामला
पिछले वर्ष क्रॉप कटिंग के बाद चयन किया गया है। उसी रिपोर्ट के आधार पर पुरस्कार मिला है। कोई अनियमितता हुई है तो दिखवाया जाएगा। -धीरेंद्र सिंह चौधरी, जिला कृषि अधिकारी