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शाहजहांपुर के काजी बाेले- रमजान एक रिफ्रेशर काेर्स की तरह है जाे टाइम मैनेजमेंट और सब्र सिखाता है जानिए कैसे

रमजान एक रिफ्रेशर कोर्स या यूं कहें तीस दिवसीय स्कूल की तरह है। उपवास का यह महीना तीस दिनों तक चलने वाले वार्षिक पाठ्यक्रम के साथ एक अत्यधिक उन्नत स्कूल है। एक व्यावहारिक पाठ्यक्रम है जो प्रतिभागियों को उनके बहुत महत्वपूर्ण कार्य के लिए सुसज्जित करता है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 09:30 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 09:30 PM (IST)
शाहजहांपुर के काजी बाेले- रमजान एक रिफ्रेशर काेर्स की तरह है जाे टाइम मैनेजमेंट और सब्र सिखाता है जानिए कैसे
शाहजहांपुर के काजी बाेले- रमजान एक रिफ्रेशर काेर्स की तरह है

बरेली, जेएनएन। रमजान एक रिफ्रेशर कोर्स या यूं कहें तीस दिवसीय स्कूल की तरह है। उपवास का यह महीना तीस दिनों तक चलने वाले वार्षिक पाठ्यक्रम के साथ एक अत्यधिक उन्नत स्कूल है। एक व्यावहारिक पाठ्यक्रम है, जो प्रतिभागियों को उनके बहुत महत्वपूर्ण कार्य के लिए सुसज्जित करता है। उन्हें आगे आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करता है।

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जिसके बाद चाहा जाता है कि इंसान पूरा साल उसी प्रशिक्षण के अनुसार व्यतीत करे। दिन के चौबीस घंटे टाइम मैनेजमेंट और सब्र के साथ किस तरह गुजारे जाएं? अपने जिस्म, आत्मा और माल को किस तरह पवित्र किया जाये? जिससे तकवा हासिल हो। इस्लाम ने दो प्रकार के कर्तव्यों को चिह्नित किया है।

एक है हक-उल्लाह जिसका अर्थ है अल्लाह के प्रति कर्तव्य। दूसरा है हक- उल इबाद समाज के लोगों के प्रति कर्तव्य। जब हम रोजा रखते हैं तो अपनी सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं भूख, प्यास सहित अन्य जरूरतों पर नियंत्रण करने में सक्षम होते हैं।

अल्लाह ने पांच चीजों में पांच प्रभाव रखे हैं आज्ञाकारिता में सम्मान, अवज्ञा में अपमान, भूख में ज्ञान, रात की प्रार्थना में पवित्रता, और संतोष में समृद्धि। रमजान के महीने में हम पश्चाताप करने, खुद को शुद्ध करने, दूसरों की मदद करने और धैर्य रखने में सफल होने की अधिक संभावना रखते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मानते हैं कि रोजा रखने से इम्यून पावर मजबूत होती है। जिससे बीमारियों की रोकथाम होती है। काजी मोहम्मद आमिर, शिक्षक


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