24 किमी सड़क खोद दी, सोते रहे इंजीनियर
ऑप्टीकल फाइबर डालने को कंपनी ने 26 किलोमीटर सड़क खोद दी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर सोते रहे।
जागरण संवाददाता, बरेली : मोबाइल नेटवर्क के लिए ऑप्टीकल फाइबर डालने को कंपनी ने 26 किलोमीटर सड़क खोद दी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर सोते रहे। घटना के बाद उन्हें सड़क की याद आई। अब इंजीनियरों ने कंपनी के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है।
पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड भवन के पास पीलीभीत बाईपास से निकलने वाली बीसलपुर रोड का करीब 26 किलोमीटर का भाग आता है। भुता के आगे होते हुए जिले की सीमा पर आखिरी गांव डंडिया नवाजिस अली तक पीडब्ल्यूडी का मार्ग है। भुता की ओर से मोबाइल नेटवर्क के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछा रही पंजाब की कंपनी विन्ध्या टेलीलिंक्स ने 21 मार्च को पीडब्ल्यूडी से सड़क खोदने की इजाजत मांगी थी। इस पर पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों ने एक हजार रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से 26 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट और 26 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा करने को कहा था। कंपनी वालों ने ड्राफ्ट तो दिया, साथ में शपथ पत्र भी दिया, जिसमें सैटेलाइट तक सड़क खोदाई करने को लिखा था। गलत शपथ पत्र होने पर पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों ने एनओसी नहीं दी। बावजूद इसके कंपनी ने गढ्डे खोदकर ओएफ केबिल बिछानी शुरू कर दी।
इंजीनियरों के काम पर उठे सवाल
पीडब्ल्यूडी की सड़क की देखरेख का काम उस क्षेत्र में तैनात सहायक अभियंता, अवर अभियंता, बेलदार, मेठ आदि कर्मचारी करते हैं। बावजूद इसके किसी ने कंपनी को सड़क खोदने पर ध्यान नहीं दिया। कंपनी तीन महीने से सड़क खोदती रही और इंजीनियर व अन्य स्टाफ मूकबधिर बने रहे। इससे उनके काम में सवाल उठने लगे हैं।
एक्सईएन ने कहा, करेंगे कार्रवाई घटना के बाद एक्सईएन बीएम शर्मा ने सड़क का निरीक्षण किया। उन्होंने कई जगह गढ्डे बंद भी कराए। बिना एनओसी के सड़क किनारे गढ्डे खोदने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई को पत्र भी जारी कर दिया। एक्सईएन ने बताया कि कंपनी को कार्रवाई करने का नोटिस दिया है। इसके साथ ही उस क्षेत्र में तैनात अभियंताओं व अन्य स्टाफ से स्पष्टीकरण भी मांगा जा रहा है।
एनएचएआइ ने नहीं की कंपनी पर कार्रवाई
पीलीभीत बाईपास पर सोमवार को खोदे गए गढ्डे में काम करने से दबकर छह मजदूरों की मौत के बाद भी एनएचएआइ के अधिकारी नहीं चेते हैं। गुरुवार को भी इस मामले में कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। वो भी तब जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक मामले का संज्ञान ले चुके हैं। एनएचएआइ के अफसर फोन भी नहीं उठा रहे हैं।