धूल-धुआं मापने खुद मशीन लेकर पहुंचा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
बाकरगंज में जल रहे कूड़े और दूषित आबोहवा को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अब कुछ हरकत में आया।
बरेली, जेएनएन : बाकरगंज में जल रहे कूड़े और दूषित आबोहवा को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अब कुछ संजीदा हुआ है। दैनिक जागरण में प्रमुखता से खबरें प्रकाशित होने के बाद क्षेत्रीय अधिकारी अनिल कुमार चौधरी के आदेश पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की टीम बाकरगंज ट्रंचिंग ग्राउंड पहुंची। साथ नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान भी थे। ट्रंचिंग ग्राउंड पर रिस्परेबल डस्ट सैंपलर लगाकर हवा में धूल के कण आदि के सैंपल लिये गए। इसकी रिपोर्ट दो दिन बाद मिलेगी। वहीं, इलाकाई लोगों से भी ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़े से आ रही दिक्कतों के बाबत बयान दर्ज किए। सूत्रों की मानें तो बाकरगंज जैसी आबादी वाली जगह ट्रंचिंग ग्राउंड और इससे आ रही दिक्कत को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जल्द ही निगम के खिलाफ कोई ठोस एक्शन ले सकता है।
ऐसे काम करता है रिस्परेबल डस्ट सैंपलर
रिस्परेबल डस्ट सैंपलर से प्रदूषण नापने के लिए तय मानक का एक फिल्टर पेपर लेते हैं। इसे लगाने से पहले वजन दर्ज कर लिया जाता है। बाद में इसे रिस्परेबल डस्ट सैंपलर में लगाया जाता है। बिजली से चलने वाले रिस्परेबल डस्ट सैंपलर का स्विच ऑन कर मशीन चालू कर देते हैं। यह एक तय स्पीड पर और तय समय तक चलता है। डस्ट सैंपलर हवा खींचता है, जो फिल्टर पेपर से होकर गुजरती है। हवा में धूल के कण फिल्टर पेपर पर रह जाते हैं। तय समय के बाद मशीन बंद कर फिल्टर पेपर का दोबारा वजन करते हैं। अंतर को फ्लो रेट, फिल्टर पेपर के अतिरिक्त वेट और मशीन चलने के हिसाब से कैलकुलेट कर हवा में डस्ट की मात्रा तय करते हैं।
महज बातों में रह गई निगरानी
उधर, बाकरगंज ट्रंचिंग ग्राउंड पर लगातार कूड़े में आग लगाए जाने से नगर निगम के वादे और दावे दोनों खोखले साबित हो रहे हैं। दिवाली बाद कूड़े में आग लगने के बाद नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव ने ट्रंचिंग ग्राउंड पर कूड़ा जलाए जाने से रोकने के लिए आठ-आठ घंटे के हिसाब से तीन कर्मचारी तैनात करने की बात कही थी। बावजूद इसके अभी तक कोई कर्मचारी नहीं लगाया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इलाकाई लोगों के स्वास्थ्य के प्रति नगर निगम संजीदा नहीं है।