Pollution : जानिए कैसे जहरीली हो रही शहर की आबोहवा Bareilly News
दीपावली आते ही प्रदूषण का खतरा फिर से तेजी से मंडराने लगा है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इसको लेकर पिछले साल कुछ अहम गाइडलाइन भी जारी की थीं।
दीपेंद्र प्रताप सिंह ’ बरेली : दीपावली आते ही प्रदूषण का खतरा फिर से तेजी से मंडराने लगा है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इसको लेकर पिछले साल कुछ अहम गाइडलाइन भी जारी की थीं। मसला महज पटाखों से एक-दो दिन उठने वाले प्रदूषण का हो, तो भी ठीक था। लेकिन अपने शहर में तो रोज दिवाली है! चौंकिये नहीं.. बात त्योहार की खुशियों पर नहीं बल्कि प्रदूषण की हो रही। जो आम मानक की तुलना में आठ गुना तक ज्यादा है। शहर की टूटी सड़कों पर वाहन भले ही रुक-रुक कर चलें लेकिन प्रदूषण ‘सरपट दौड़’ रहा है। यहां-वहां जलने वाला कूड़ा भी इसकी बड़ी वजह है। आलम यह है कि कहीं-कहीं वायु प्रदूषण का स्तर अभी ही दिवाली की रात से कम नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि पहले से ही प्रदूषित बरेली में दिवाली की रात वायु प्रदूषण किस स्तर पर होगा..।
पीएम-2.5 और पीएम-10 कई गुना बढ़ा
वायुमंडल में कितना प्रदूषण है, इसे पार्टिक्यूलेट मैटर (पीएम) वैल्यू से मापा जाता है। शरीर के लिए सामान्य आबोहवा में पीएम 2.5 की मात्र 30 और पीएम-10 करीब 50 मिलीग्राम प्रति घन मीटर होता है। मंगलवार को पर्यावरणविद प्रो. डीके सक्सेना ने शहर के पॉश इलाकों से लेकर मुख्य चौक-चौराहों पर वायु प्रदूषण नापा। इसमें कई जगह पीएम-2.5 की मात्र 200 के करीब और पीएम-10 भी 400 से ज्यादा था। वायु प्रदूषण का यह बढ़ा स्तर बेहद खतरनाक है। ये सभी वो जगह थीं, जहां कुछ न कुछ निर्माण कार्य चल रहा या सड़कें खुदी थीं।
बीमार बनाने के लिए काफी है इतना प्रदूषण
पर्यावरणविद बताते हैं कि शहर में सेटेलाइट तिराहा, डेलापीर तिराहा, श्यामगंज, चौपुला चौराहा, लालफाटक रोड और चौकी चौराहा की स्थिति खराब है। यही नहीं सिविल लाइंस में चल रही खुदाई और कैंट के एक बंगले में पराली जलने से वहां के हालात भी ज्यादा ठीक नहीं। प्रदूषण की जो स्थिति इस समय शहर में है, वह किसी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार बनाने के लिए काफी है।
जानें कैसे जहरीली हो रही शहर की आबोहवा
वर्ष 2015 में राजेंद्र नगर इलाके में दिवाली से छह दिन पहले वातावरण में सल्फर डाई ऑक्साइड (एसओ-2) 13.08 और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (एनओ-टू) 23.32 था। वर्ष 2016 में एसओ-2 आम दिनों से बढ़कर 18 और एनओ-2 की मात्र 23.37 हो गई। इस साल यह आंकड़ा इससे करीब दोगुना यानी यानी वातावरण में सल्फर डाई ऑक्साइड करीब 20 और एनओ-2 40 के करीब पहुंच गया है।
टूटी सड़क, डिवाइडर और हो रहे निर्माण के चलते शहर में धूल के कण बीते एक-दो सालों के मुकाबले दोगुने हो गए हैं। दिवाली से पहले प्रदूषण का यह आलम त्योहार की आतिशबाजी में शहरवासियों के लिए और खतरनाक हो सकता है। - प्रो. डीके सक्सेना, पर्यावरणविद