1991 Fake Encounter Case : आतंकी बताकर पुलिस ने बस से उतार लिए थे 10 तीर्थयात्री, फर्जी मुठभेड़ में कर दी थी हत्या
1991 Fake Encounter Case Latest Updates वर्ष 1991 में वह 12 जुलाई का दिन था। पंजाब से तीर्थयात्रियों को लेकर एक बस शहर में आई थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि इस बस में तीर्थयात्रियों के साथ ही दस आतंकी भी सवार हैं।
पीलीभीत, जेएनएन। वर्ष 1991 में वह 12 जुलाई का दिन था। पंजाब से तीर्थयात्रियों को लेकर एक बस शहर में आई थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि इस बस में तीर्थयात्रियों के साथ ही दस आतंकी भी सवार हैं। पुलिस ने बस को रुकवाकर दस युवकों को उतारकर अपनी गाड़ी में बिठा लिया था। इसके बाद अलग-अलग स्थानों पर उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था।
उस समय इसे आतंकी मुठभेड़ बताया गया था। पुलिस की ओर से कहा गया था कि ये खालिस्तान लिबरेशन आर्मी से जुड़े आतंकी हैं। बाद में जब इस घटना पर सवाल उठे तो पुलिस ने ही इसकी जांच की थी। जांच के बाद स्थानीय पुलिस की ओर से क्लोजर रिपोर्ट दर्ज की गई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस तथाकथित आतंकी मुठभेड़ की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। उसी के बाद जांच में कुल 47 पुलिस कर्मियों को इस घटना के लिए दोषी माना गया था।
न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद सभी आरोपितों पर दोष सिद्ध हुआ। इनमें से 12 दोषियों, अपीलकर्ताओं अधिक उम्र या गंभीर बीमारी के आधार पर हाईकोर्ट की कोआर्डिनेट बेंच ने जमानत दे दी थी। न्यायालय को अब 35 लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने इन आरोपितों को अंतरिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। सीबीआइ की विशेष अदालत ने 4 अप्रैल 2016 के अपने फैसले और आदेश के तहत 47 लोगों को दोषी ठहराया था।
अदालत ने की यह टिप्पणी: पुलिसकर्मियों की दलील थी कि मारे गए दस सिखों में से बलजीत सिंह उर्फ पप्पू, जसवंत सिंह उर्फ बिलजी, हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटा और सुरजान सिंह उर्फ बिट्टू खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के आतंकी थे। उन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थी। उनका लंबा आपराधिक इतिहास था। इस पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि मरने वालों में से कुछ लोगों को कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। ऐसे में सभी को आतंकी मानकर बबर्रता पूर्वक हत्या नहीं की जानी चाहिए थे। अगर कोई गुनहगार था तो उसके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई करनी चाहिए थी। इसके साथ ही कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी।