ब्रह्म योग में माेक्षदायिनी अमावस्या पर करें पितरों का पूजन, डोली में सवार होकर आएंगी माता; जानिए शुभ मुहूर्त
Pitru Paksha Last Day 2021 सर्व पितृ अमावस्या छह अक्टूबर को है। इस बार की अमावस्या में ब्रह्म योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार ब्रह्म योग में की गई पूजा अनंत गुना फलदाई होती है। जो यश वैभव ऋद्धि-सिद्धि समृद्धि में वृद्धि कराती है।
बरेली, जेएनएन। Pitru Paksh Last Day 2021 : सर्व पितृ अमावस्या छह अक्टूबर को है। इस बार की अमावस्या में ब्रह्म योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार ब्रह्म योग में की गई पूजा अनंत गुना फलदाई होती है। जो यश, वैभव, ऋद्धि-सिद्धि समृद्धि में वृद्धि कराती है। धार्मिक दृष्टि से यह श्राद्ध का अंतिम दिन होता है।
आचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों में आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मोक्षदायिनी अमावस्या और पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा गया है। इस दिन मृत्यु लोक से आए हुए पितृजन वापस लौट जाते हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं।
मुहूर्त
- अमावस्या तिथि शुरू शाम- 7:04 बजे 5 अक्तूबर से
- अमावस्या तिथि समाप्त दोपह- 4:34 बजे 6 अक्तूबर तक
इस विधि से करें पितरों का तर्पण
पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें। पितरों के तर्पण के लिए सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं और घर की चौखट पर रखें। पितरों से प्रार्थना करें कि पितृपक्ष वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं।
इस बार डोली पर सवार होकर आएंगी माता रानी
शारदीय नवरात्र की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो रही है। नवरात्र के पहले दिन देवी मां के सामने कलश स्थापना की जाती है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि वार के अनुसार, मां दुर्गा किस चीज की सवारी करके पृथ्वी लोक में आएंगी। अगर नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस साल नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रहे हैं।
मुहूर्त
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 6 अक्टूबर शाम 4:35 मिनट से शुरू
- प्रतिपदा तिथि समाप्त- 7 अक्टूबर दोपहर 1:46 मिनट तक
- घटस्थापना- सुबह 6:17 मिनट से सुबह 7:07 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा दशहरा
हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा या विजया दशमी हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार दशहरा सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। यह त्योहार अवगुणों को त्याग कर गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि इसे बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मानते हैं। दशहरा का त्योहार 15 अक्टूबर को है। इस दिन चंद्रमा मकर राशि और श्रवण नक्षत्र रहेगा।
मुहूर्त
- 15 अक्टूबर- दोपहर 2:02 मिनट से दोपहर 2:48 मिनट तक दशहरा पूजन
- दशमी तिथि- 14 अक्टूबर को शाम 6:52 से शुरू होकर अगले दिन शाम 6:02 मिनट तक रहेगी।
सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा से बरसेगा अमृत
शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा होती है।
मुहूर्त
शरद पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर शाम 7 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी।