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क्वारंटाइन सेंटर में रोके गए प्रवासियों ने खुद को हालात में ढाला, साथ बैठकर होता है खाना और नाश्ता

अपनी चौखट पहुंचने की फिक्र में वे करीब ढाई सौ किमी का लंबा सफर छोटे डगों से पूरा करते चले आए। जाना और आगे था मगर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सीमाएं लॉक की गईं

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 09:52 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 09:52 AM (IST)
क्वारंटाइन सेंटर में रोके गए प्रवासियों ने खुद को हालात में ढाला, साथ बैठकर होता है खाना और नाश्ता
क्वारंटाइन सेंटर में रोके गए प्रवासियों ने खुद को हालात में ढाला, साथ बैठकर होता है खाना और नाश्ता

बरेली, अभिषेक पांडेय। अपनी चौखट पहुंचने की फिक्र में वे करीब ढाई सौ किमी का लंबा सफर छोटे डगों से पूरा करते चले आए। जाना और आगे था मगर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सीमाएं लॉक की गईं तो बरेली-शाहजहांपुर के बार्डर पर रोक लिए गए। मन कभी टूटा, कभी खिन्न हुआ। कभी निराशा सवार हुई तो कभी हताशा ने रुलाया... मगर हालात कह रहे थे कि उनका यहां रुकना ही ठीक है। आखिरकार उन्होंने यह मान लिया। अजनबी शहर में क्वारंटाइन सेंटर को उन्होंने अपना घर और अजनबी चेहरों को अपना परिवार मान लिया। 

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फरीदपुर के फ्यूचर कॉलेज में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में रुके सीतापुर निवासी जयराम शर्मा व अरुण वहीं दरी पर बैठे सब्जी काटते दिखे। पूछा कि खाना बनाने वाले नहीं आते ? जवाब आया- आते हैं मगर, हम भी खाली क्या करें। सब्जी काटकर टाइम पास करते हैं। आपस में बातचीत भी हो जाती है। चेहरे पर न तनाव और न ही कोई बोझ। वे दिल्ली में सब्जी मंडी में पल्लेदारी की पुरानी बातें साझा करते हुए फिर उसी काम में लग जाते हैं। कुछ और जानकारी के लिए कुरेदा तो कहने लगे, 27 मार्च को दिल्ली से पैदल चल दिए थे, फरीदपुर के पास रोक दिया गया। मोबाइल डाउन होने से परिवार वालों से बात तक नहीं हुई। बाद में जब फोन किया तो वे सब रोते हुए हालचाल पूछने लगे। बता दिया है, अब यहां सब ठीक है। 14 अप्रैल के बाद यहां से जाएंगे।

बिहार के सहरसा में रहने वाले भजन लाल और मोतिहारी के वीरेंद्र शाह दो अन्य लोगों के साथ बैठकर वहीं ताश खेल रहे थे। पूछा कि कोई दिक्कत ... भजन लाल का जवाब आया- मेरठ में राजमिस्त्री का काम करते थे। लॉक डाउन होने पर घर के लिए चले थे मगर अब समझ आ रहा कि कुछ दिन यहीं रहना ठीक है। डॉक्टरों व पुलिस ने बताया है कि यदि बिना जांच ऐसे सीधे घर पहुंच जाओगे तो परिवार को संक्रमण होने का खतरा होगा। 14 दिन तक यहां रहकर तबीयत दुरुस्त रहेगी तो घर बेफिक्री से पहुंचेंगे। वैसे अब ये सब भी परिवार से कम थोड़े ही हैं। सुबह को सब साथ में नाश्ता करते हैं। दोपहर को टाइम पास के बहाने सब्जी काटने बैठ जाते हैं। यहां 178 लोग हैं। धीरे-धीरे सभी से जान पहचान हो रही है। जिनके पास रहो, वही परिवार बन जाता है। बगल में बैठे केशव नारायण उनकी बात में हामी भरते हुए मुस्करा कर ताश की अगली बाजी खेलने का इशारा करते हुए बात खत्म करने को कहते हैं। डॉक्टर बता गए हैं कि एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी जरूर रहे, जिसका वे लोग ध्यान रखते हैं।

दो दिन हुआ था हंगामा, अब शांति

एक अप्रैल तक बरेली-शाहजहांपुर बार्डर पर रोके गए लोगों को फतेहगंज पूर्वी के इंटर कॉलेज में बने क्वारंटाइन सेंटर में ठहराया गया था। वहां दो दिन तक खाने को लेकर हंगामा हुआ, कुछ लोग दीवार फांदकर भाग भी गए। तीन अपै्रल को सभी को यहां लाया गया।

रोजाना होती है जांच

इन लोगों की जांच के लिए फरीदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम लगी हुई है। जिन्हें भी सर्दी, जुकाम, बुखार या खांसी की शिकायत होती है, उनकी जांच कराई जाती है। अब तक किसी में कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिले हैं। प्रशासन दो तरह के क्वारंटाइन सेंटर बनाए हैं। यह प्रवासियों के आश्रय के लिए और दूसरे अस्पतालों में संदिग्धों के लिए।  


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