बरेली में जिला अस्पताल के हड्डी वार्ड में भर्ती मरीज की बेड पर जिंदा जलकर मौत
जिला अस्पताल के हड्डी वार्ड में उठी लापरवाही की लपटों में एक जिंदगी स्वाह हो गई।
बरेली(जेएनएन)। जिला अस्पताल के हड्डी वार्ड में उठी लापरवाही की लपटों में एक जिंदगी स्वाह हो गई। वाकया बुधवार तड़के का है। अधिकांश मरीज और तीमारदार सो रहे थे। उसी दौरान अचानक वार्ड में आग लग गई। हादसे में एक बेड पर भर्ती मरीज बुरी तरह झुलस गया। हैरानी इस बात की है कि पूरे घटनाक्रम के दौरान पूरा स्टाफ बेसुध गहरी नींद में डूबा था। जब तक मरीज को बर्न वार्ड में ले जाया गया, उसकी मौत हो चुकी थी। बेपरवाही के बाद संवेदनहीनता में भी अस्पताल प्रशासन पीछे नहीं रहा। पूरे मामला को दबा दिया गया। गनीमत रही, पुलिस तक सूचना पहुंची और झकझोरने वाली घटना सामने आई।
जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में 28 सितंबर की रात 108 एंबुलेंस से करीब 50 वर्षीय एक व्यक्ति को लाया गया था। वह हादसे में घायल हो गए थे। इमरजेंसी में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने सड़क पार मेल आर्थो वार्ड में शिफ्ट कर दिया। तब से वह वार्ड के फ्रंट बरामदा में एक नंबर बेड पर भर्ती थे। करीब 20 दिन बीतने के बाद भी बुजुर्ग मरीज की पहचान नहीं हो पाई थी। बुधवार तड़के करीब तीन बजे अचानक गैलरी से तेज उजाला और चीख-पुकार मचने लगी। वार्ड में भर्ती मरीजों व स्टाफ ने वहां जाकर देखा तो मरीज चादर समेत जल रहा था। गैलरी में धुआं भर गया था। आग व धुआं देखकर मरीज व तीमारदारों में भगदड़ मच गई। 16 नंबर बेड पर भर्ती मरीज नन्हें ने दूसरे बेड की चादर से आग को बुझाया। तुरंत ही नर्सिग स्टाफ ने सूचना डॉक्टरों को दी। देखा, तब तक मरीज के पैर और पेट गंभीर रूप से झुलस गए थे। उन्हें बर्न वार्ड में शिफ्ट किया गया लेकिन, कुछ देर में ही मरीज की मौत हो गई। अस्पताल वालों ने शव को मोरचरी में रखवाकर पुलिस को सूचना दे दी।
पूरे मामले में बैठा दी गई जांच
मरीज करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती था। उसके दोनों पैरों में सेप्टिक था। वह वार्ड के बाहर तक घूमता और बीड़ी पीता रहता था। बुधवार सुबह बीड़ी से उसके बेड पर आग लग गई। फिर भी पूरे मामले पर जांच बैठा दी गई है।
-डॉ. केएस गुप्ता, एडीएसआइसी