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पप्पू होंगे गिरफ्तार या जाएंगे कप्तान.?

भाजपाई बेशक विरोध में मगर सत्तारूढ़ विधायक के खिलाफ मुकदमे की बात नहीं उतर रही किसी के गले

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 08:32 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 08:32 AM (IST)
पप्पू होंगे गिरफ्तार या जाएंगे कप्तान.?
पप्पू होंगे गिरफ्तार या जाएंगे कप्तान.?

सुर्खियों में पप्पू

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- लगातार फ्रंटफुट पर खेल रहे थे पप्पू भरतौल

- सांसदी लड़ने का ख्वाब, लगवाने लगे थे बैनर पोस्टर

- अपनी विधान सभा का दायरा तोड़कर बढ़ाए थे कदम

- पहले दोस्ती, फिर पार्टी के एक विधायक से ठनी

- पड़ोस की विस के विधायक के काम कराने का करते थे दावा

- शहर का पुल, अस्पताल समेत हर मुद्दे में थी घुसपैठ

- अफसरों से बार-बार टकराव, पार्टी के मंत्री के खिलाफ भी बयानबाजी बड़े सवाल

-आखिर शासन की अनुमति के बिना एसएसपी ने कैसे लिया मुकदमे व दबिश का फैसला

-विधायक के खिलाफ दबिश में विस अध्यक्ष को भी देनी पड़ती है सूचना

-सरकार को भेजी जा रही घटनाक्रम के पल-पल की रिपोर्ट

-एडीजी समेत सभी आला अफसर थे जिले में मौजूद

-मुकदमा किसी व्यक्तिगत तहरीर पर नहीं, पुलिस यानी सरकार ने कराया

-मुकदमा लिख भी लिया तो दबिश में इतनी जल्दबाजी क्यों

-गंभीर धाराओं में है मुकदमा, फिर बाद में गिरफ्तारी क्यों टली पर्दे के पीछे

- एसएसपी ने स्थानीय नेताओं को भरोसे में लिए बिना कैसे किया फैसला

- सवाल पुलिस के इकबाल का या पार्टी की अंदरूनी सियासत

- सबकुछ कानून के मुताबिक तो पर्दे के पीछे खिलाड़ी कौन

- कार्रवाई गलत तो अब तक कप्तान की कुर्सी कैसे सलामत

- विरोध में भाजपाई पहुंचे मगर नहीं दिखे सारे विधायक

-स्थानीय मंत्री भी दो दिन साधे रहे चुप्पी, अफसरों को क्यों नहीं कसा

-मंगलवार को सीएम से मिलने की बात, फौरन कार्रवाई क्यों नहीं? जागरण संवाददाता, बरेली : बिथरी से भाजपा विधायक पप्पू भरतौल के खिलाफ मुकदमे का शोर रविवार को ठंडा ही रहा। अलबत्ता, पूरे मामले पर सियासी गलियारों में कयासबाजी दौड़ती रही। हर किसी के जहन में एक ही सवाल था-आखिर सत्तारूढ़ विधायक के खिलाफ मुकदमा लिखा कैसे गया..? फिलहाल पुलिस इसे कप्तान का फैसला बताते हुए आगे की कार्रवाई में जुटी है लेकिन, वास्तव में सबकुछ इतना सीधा नहीं, जितना दिख या दिखाया जा रहा है। कानूनी पहलू से लेकर पुलिस-प्रशासन के अफसरों के तेवर, शासन तक पल-पल की जानकारी पहुंचाना। यह बताता है कि खिलाड़ी जो भी हो, एक तीर से निशाने कई साध लिए गए। देखना दिलचस्प होगा, आने वाले दिनों में पप्पू गिरफ्तार होंगे या कप्तान जिले से जाएंगे।

कलारी के ताजियों को लेकर उपजे विवाद में शनिवार को भाजपा विधायक पर कार्रवाई का कर्रा बाउंसर फेंकने वाले कप्तान दूसरे दिन भी फॉर्म में दिखे। छुट्टंी में भी निवास पर उमरिया में गिरफ्तारी का खाका खींचा। साथ ही तमाम को उठवा भी लिए। हालांकि, रविवार को विधायक पप्पू् भरतौल पुलिस के सीन से बाहर रहे। भाजपाई दावा कर रहे हैं कि हमारे विरोध के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई लेकिन, जिस तरह शनिवार का घटनाक्रम हुआ उसके मायने हर कोई अपने-अपने तरीके निकाल रहा है। आखिर कप्तान इतने पॉवरफुल कैसे हो गए? सबसे बड़ा सवाल भाजपा के भीतर और बाहर यही उठ रहा है। कुछ पार्टी नेताओं का तर्क है कि जब सबकुछ शासन की जानकारी में था, तो मुकदमों में विधायक पप्पू भरतौल का नाम कैसे शामिल हो गया? भाजपा के बड़े नेताओं की चुप्पी

लगातार विवादों में घिरने वाले विधायक पप्पू भरतौल बयानबाजी में कोई कसर नहीं छोड़ते। पार्टी के ही कई बड़े नेताओं को अक्सर निशाने पर लेते रहे। श्यामगंज पुल, जिला पंचायत या बिथरी ब्लाक के चुनाव, पप्पू पार्टी को भरोसे में लिए बिना अकेले मैदान में कूद पड़े और किरकिरी हुई। शनिवार को मुकदमे के बाद कुछ विधायक, आंवला सांसद तो पहुंचे मगर प्रभावशाली नेताओं ने कोई बयान जारी नहीं किया। जानकार तर्क के साथ कह रहे हैं-अगर कप्तान ने खुन्नस में सबकुछ किया तो लखनऊ अपने विधायक को लेकर अब तक क्यों शांत है..? पप्पू पर नकेल तो नहीं

इस मुद्दे पर बयानों में भाजपा के नेता एसएसपी पर बेशक भड़ास निकालें लेकिन, दबी जुबान पार्टी के ही कुछ लोग इसे पप्पू भरतौल पर नकेल बता रहे हैं। मुकदमा और उसके बाद दबिश..वास्तव में यह 'सबक' है। सीएम से मिलेंगे विधायक, कौन पड़ेगा भारी

भाजपा कार्यकर्ताओं समेत सभी को अब इस बात का इंतजार है कि पूरे मामले में भारी कौन पड़ेगा। वजह, मंगलवार को विधायक कैबिनेट मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री से मिलने का दावा कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा, गाज किस पर गिरेगी। पप्पू भरतौल पर शिकंजा कसेगा या कप्तान को जाना होगा..। शासन को तुरंत दी जानकारी

पार्टी नेता भले ही यह कहें कि एसएसपी ने अपनी तरफ से विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। सच यह है कि विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद शासन को तुरंत जानकारी दे दी गई थी। वैसे भी नियमानुसार किसी जनप्रतिनिधि पर मुकदमा दर्ज करने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है।


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