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डीजल के दाम बढऩे से बढ़ रही धान की लागत, परेशान हो रहा किसान

भारतीय किसान यूनियन के जिला सचिव महिपाल गुर्जर ने बताया कि डीजल पेट्रोल पर बढ़ रहे रेट से किसानों को दिक्कत के साथ परेशानी हो रही है। इसके अलावा फसल की लागत महंगी होती जा रही है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 11:16 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 11:16 PM (IST)
डीजल के दाम बढऩे से बढ़ रही धान की लागत, परेशान हो रहा किसान
डीजल के दाम बढऩे से बढ़ रही धान की लागत, परेशान हो रहा किसान

बरेली, जेएनएन । पिछले डेढ़ माह से लगातार धीरे-धीरे बढ़ रहे डीजल के रेट को लेकर किसानों में चिंता छाने लगी है। किसानों ने बढ़ते रेट पर चिंंतित होकर धान की फसल में नुकसान होने की संभवानाएं जताना शुरू कर दिया है। डीजल-पेट्रोल महंगा होने से जहां फसल की लागत अधिक आ रही है। वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्ट का किराया भी बढऩे का असर सीधा सब्जी, फसल में होता है।

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भारतीय किसान यूनियन के जिला सचिव महिपाल गुर्जर ने बताया कि डीजल पेट्रोल पर बढ़ रहे रेट से किसानों को दिक्कत के साथ परेशानी हो रही है। इसके अलावा फसल की लागत महंगी होती जा रही है। बरेली तराई क्षेत्र होने के कारण यहां अच्छी फसल होने के साथ ही सब्जी आदि होती है, लेकिन डीजल महंगा होने से काफी दिक्कतें हो रही हैं। बढ़े रेट को लेकर किसानों को सब्जी तथा अन्य फसलों में नुकसान के बाद अब धान की फसल की भी ङ्क्षचता होने लगी है।

एक बीघा धान में लागत बढ़ेगी 20 प्रतिशत

उन्नतशील किसान संजय पाठक बताते हैं कि एक बीघा जमीन में धान लगाने के लिए ट्रैक्टर से धान लगाने पड़ते हैं। खेत की जुताई करने के लिए पहले ङ्क्षसचाई करनी पड़ती है जबकि बाद में भी धान को बचाने के लिए लगातार पानी देना पड़ता है। अगर बिजली ने साथ नहीं दिया तो एक बीघा धान में करीबन 14 सौ रुपये का डीजल फूंक जाएगा। किसान ईद मोहम्मद बताते हैं कि एक बीघा धान के लिए लगभग 400 रुपये का खाद तथा डीएपी लगती है। जबकि उसको रोग से बचाने के लिए एक हजार रुपये की दवाई लगती है। अगर धान उच्च प्रजाति की नहीं है तो खर्च और धान की कीमत बराबर बैठ जाती है। ऐसे में डीजल से 20 प्रतिशत लागत और बढ़ गई है।

सरकार किसान हितैषी नहीं है। पेट्रोल से ऊपर डीजल के रेट ले जाना स्पष्ट बता रहा है। किसानों के लिए डीजल होता है, जबकि बड़े लोगों के लिए पेट्रोल। जल्द ही किसान यूनियन इसके लिए आंदोलन करेगी। - महिपाल सिंह, जिला सचिव भारतीय किसान यूनियन टिकैत


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