Lockdown-2 Challenge: चुनौतियों में ही आगे बढ़ने के तलाशने होंगे अवसर Bareilly News
हमने जीवन बचाने की लड़ाई अच्छे से लड़कर जीती है। उद्योगों का पहिया भी तेजी से दौड़ेगा। बस कुछ बदलाव के लिए तैयार रहें। जीवन खूबसूरत रहेगा।
बरेली, जितेंद्र शुक्ल । शुक्र मनाइए कि हम बरेली में हैं। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूंं कि रामपुर, मुरादाबाद, सम्भल और बदायूं जैसे आसपास के जिले कोरोना संक्रमण में घिरे हैं, तब बरेली इससे मुक्ति पाकर आगे की राह पर बढ़ने की तैयारी में शिद्दत के साथ जुटा है। यह संभव हो पाया आपके संयम और कोरोना को परास्त करने की जिजीविषा से। यही कारण है कि लगभग 24 घंटे गुलजार रहने वाले अयूब खां चौराहे पर वीरानी दिखती है तो मन को सुकून होता है कि एक माह पहले शुरू हुए लॉकडाउन की प्रारंभिक धमाचौकड़ी के बाद चीजें काफी नियंत्रण में हैं।
हर वक्त वाहनों की रेलमपेल में जूझता श्यामगंज पुल अब सुकून की सांसें लेकर आगे की यात्र के लिए खुद को तैयार कर रहा है। हालांकि कुछ बाजार/मंडियों में हालात वैसे नहीं रहे जैसी अपेक्षा थी। शहर के प्रमुख उद्यमी दिनेश गोयल कहते भी हैं कि हमने जीवन बचाने की लड़ाई अच्छे से लड़कर जीती है। उद्योगों का पहिया भी तेजी से दौड़ेगा। बस कुछ बदलाव के लिए तैयार रहें। जीवन खूबसूरत रहेगा।
अपने मंडल के तीन जिले बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत कोरोना मुक्त हो चुके हैं। सावधानी की प्रक्रिया जारी है। करीब 20 दिन से कोई नया कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला है। संसाधनों के नजरिए से देखें तो बहुत मजबूती नहीं कही जा रही थी। फिर भी अब तक 17 सौ सैंपल लिए जा चुके, इनमें 12 सौ की रिपोर्ट आ चुकी है, इसे कम नहीं कहा जा सकता है। आइवीआरआइ में जांच शुरू होने पर इसमें तेजी आई है। बदायूं और शाहजहांपुर में भी कोविड-19 की जांच के लिए लैब खोलने की तैयारी है।
जो हुआ या हो रहा है, उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि पूरी दुनिया एक दिन ऐसे रुक जाएगी। जिस सरकारी अमला, खासकर डॉक्टर-मेडिकल स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मी को हम कोसते नहीं अघाते थे, उनकी सेवा भाव के लिए पलक पावड़े बिछाएं हैं। फूल बरसाकर उनका स्वागत, सम्मान कर रहे हैं। इस विषम घड़ी में अपने कर्मयोगी भी लगन के साथ आपको घर तक अखबार पहुंचाते रहे। उन्हें भी नमन।
लॉकडाउन के एक माह में कुछ भ्रांतियां टूटी हैं, तो कुछ प्रतिमान भी गढ़े हैं। जैसे लाठियां और गालियां बांटने वाली पुलिस प्यार, अपनापन और रोटी बांट रही। नाकारा समङो जाने वाले सरकारी अस्पताल और उनके डॉक्टर, नर्स तथा अन्य मेडिकल स्टाफ अब देवतुल्य हैं। काम की व्यस्तता के कारण अपनों के साथ कुछ घंटे बिताने वाले लोग उनसे बातें कर रहे, परिवार के साथ भरपूर समय बिता रहे। नदियां साफ हुई हैं और पर्यावरण भी सुधरा है। कोरोना ने जो मौका दिया वह दुखद है, त्राासदी है। लेकिन, इसी में हमें अवसर खोजना है। बस हमें सामाजिक नहीं शारीरिक दूरी का ख्याल जरूर रखना है।