अफसरों की खींचतान में फंसा 'ऑपरेशन गजराज’ Bareilly News
दुधवा से हाथियों के आने को लेकर स्थानीय वन विभाग के अफसर पहले दिन से दुविधा में है। उनका दावा है कि ऐसी सूचना तो है लेकिन उनके पास मुख्यालय से ऐसे कोई निर्देश नहीं आए हैं।
बरेली, जेएनएन : मीरगंज में नेपाली हाथियों को वापस सही रास्ते पर लाने का ऑपरेशन गजराज अफसरों की खींचतान में उलझ गया है। दुधवा के अफसर चार हाथी भेजने का दावा कर रहे हैं, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद रविवार तक हाथी नहीं पहुंच सके। स्थानीय अफसर मामले में लखनऊ स्तर से निर्णय होने की बात कर रहे हैं। उधर, रविवार को नेपाली हाथी नरखेड़ा गौटिया से तीन किमी आगे दिनरा मिर्जापुर में डेरा डाले रहे। ग्रामीणों को नियंत्रित करने के लिए गांव में पीएसी तैनात कर दी गई है।
झांसी से आए वन्य जीव संरक्षक पीपी सिंह ने बताया कि नेपाली हाथी शनिवार रात सफर करते हुए 7 से 8 किमी तक आगे गए, लेकिन ट्रेन की आवाज सुनकर वापस लौट आए।
अब गांव दिनरा मिर्जापुर में डेरा डाल दिया है। बिगड़ैल हाथियों की निगरानी में लगे विशेषज्ञों ने दुधवा से हाथी मंगाने की मांग की है। मगर दुधवा से हाथियों के आने को लेकर स्थानीय वन विभाग के अफसर पहले दिन से दुविधा में है। उनका दावा है कि ऐसी सूचना तो है, लेकिन उनके पास मुख्यालय से ऐसे कोई निर्देश नहीं आए हैं। यह निर्णय लखनऊ स्तर से ही होता है।
वन विभाग के सब डिवीजनल ऑफिसर बीएन सिंह ने बताया कि हाथियों नियंत्रित करने के लिए बंगाल से भी पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम रविवार रात तक शहर पहुंचेगी।
सिर्फ हाथियों की मूवमेंट की निगरानी कर रही टीमें
नेपाली हाथी लगातार क्षेत्र में उत्पात मचा रहे हैं। वन रक्षक समेत तीन लोगों को पटककर मौत के घाट उतार चुके हैं। कई बीघा फसल को तहस-नहस कर चुके हैं, बावजूद इसके विभागीय अफसर अभी तक सिर्फ हाथियों के मूवमेंट की निगरानी कर रहे हैं कि कहीं वे आबादी की तरफ न आ जाएं।
शनिवार को नरखेड़ा गौटिया में ठिकाने बनाने वाले हाथी रविवार को वहां से तीन किमी दूर दिनरा मिर्जापुर में पहुंचे तो भीड़ लग गई। गोविंद गंगवार के खेत में खड़े हाथियों का वीडियो बनाने के लिए कुछ युवक नजदीक पहुंचे तो हाथी भड़क उठे। इससे भगदड़ मची और आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। इससे पहले शनिवार रात को वन विभाग की टीम पटाखे, मिर्ची धुआं करते रहे मगर हाथियों पर फर्क नहीं पड़ा।
एक हाथी है घायल स्थिति में
इन हाथियों में एक घायल है जो ज्यादा चलने फिरने की स्थिति में नहीं है। इससे यह अधिक सफर तय नहीं कर रहे हैं। हालांकि, वन विभाग के अफसरों से ऐसी कोई जानकारी नहीं दी। ग्रामीणों के अनुसार, नरखेड़ा गौटिया से हाथी बीथंम खेयू की गौटिया, चनेटा, धनेटा तक पहुंचे। ट्रेन की आवाज सुनकर उल्टे पैर हाथी लौटे।
गूला और भाकड़ा नदी के रास्ते बन रही वापसी की रणनीति
रुहेलखंड के मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा ने बताया कि रविवार को बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि हांका लगाने से उचित रहेगा कि दोनों हाथियों को गूला और भांकड़ा नदी के बीच के रास्ते आगे उत्तर दिशा में चला जाए। इससे दोनों हाथी अपने प्राकृतिक वास में चला जाए। उन्होंने बताया कि दोनों हाथी रविवार को सुकली गांव में डेरा डाले रहे।
बंगाल और छत्तीसगढ़ से बुलाए विशेषज्ञ
रुहेलखंड के मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा ने बताया कि नेपाली हाथियों को हांका लगाने को पश्चिम बंगाल से पांच और छत्तीसगढ़ से छह प्रशिक्षित सदस्य बुलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह लोग हाथी के वर्तमान स्थलों का निरीक्षण करेंगे। जिला प्रशासन के अफसरों से भी मदद लेंगे। बैठक में मुख्य वन संरक्षक झांसी पीपी सिंह, मुख्य वन संरक्षक गोंडा सुलाय बनर्जी, वन संरक्षक गणोश भट्ट, एससी यादव, प्रभागीय निदेशक रामपुर एके कश्यप आदि मौजूद रहे।
वाहन पलटा, रेंजर समेत पांच वनकर्मी घायल
दिनरा मिर्जापुर जा रहे बीसलपुर रेंज के वन क्षेत्रधिकारी का वाहन पलट गया। हादसे में रेंजर समेत चार वनकर्मी घायल हो गए। घायलों को अस्पताल भेजा गया है। रविवार अपराह्न् तीन बजे बीसलपुर (पीलीभीत) रेंज के वन क्षेत्रधिकारी हसीब बेग अधीनस्थ मोहन लाल रस्तोगी, अजमेर सिंह (वन दारोगा) व सियाराम (अर्दली) के साथ दिनरा मिर्जापुर आ रहे थे, जहां नेपाली हाथी हैं।
धनेटा-शीशगढ़ मार्ग पर परतापुर के समीप एक अन्य वाहन को बचाने के चक्कर में उनका वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे के वक्त वाहन दयाराम चला रहे थे। राहगीरों ने वाहन में फंसे वन कर्मियों को बाहर निकाला। घटना स्थल दिनरा मिर्जापुर क्षेत्र का होने से दर्जनभर वन कर्मी वहां पहुंच गए। घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। पलटे वाहन को सीधा कर घटना स्थल से हटाकर रोड किनारे किया गया।