महायोजना 2031: सिर्फ एक इंडस्ट्रियल एरिया और नियम भी स्पष्ट नहीं, उद्यमियों ने बीडीए के ड्राफ्ट पर उठाए सवाल
बरेली विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2031 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस पर लोगों से मांगी गई आपत्तियों पर सुनवाई 25 मई से शुरू होनी है। इससे पहले ही तमाम उद्यमियों ने ड्राफ्ट में कई खामियां बताई हैं।
बरेली, जेएनएन। औद्योगिकीकरण किसी भी शहर के विकास की रीढ़ माना गया है। उद्यमों का विकास ही शहर को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। यह जानते हुए भी महायोजना 2031 में सिर्फ एक इंडस्ट्रियल एरिया रखा गया है। वह भी मांग और मानक से काफी कम है। इतना ही नहीं सिर्फ एक जगह ही क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित किया है। अगर जिले के प्रमुख मार्गों पर छोटे-छोटे आस्थान रखे जाते तो उद्यमियों को अधिक आसानी होती। जिस क्षेत्र में जो सुविधा मिलेगी, वहां उसी तरह के उद्योग अधिक पनपने की संभावना रहेगी। इसके अलावा औद्योगिक विकास का शुल्क, बायलाज भी अब तक स्पष्ट नहीं किए गए हैं। इसे लेकर तमाम उद्यमियों ने आपत्तियां दाखिल की है।
बरेली विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2031 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस पर लोगों से मांगी गई आपत्तियों पर सुनवाई 25 मई से शुरू होनी है। इससे पहले ही तमाम उद्यमियों ने ड्राफ्ट में कई खामियां बताई हैं। जिले में अब तक यूपीएसआइडीसी का परसाखेड़ा में औद्योगिक क्षेत्र है और सीबीगंज व भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र जिला उद्योग केंद्र से ही संचालित होते हैं। नई महायोजना में रजऊ परसपुर में कई गांवों की भूमि को नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए रखा है।
जिले की प्रमुख सड़कों किनारे बने छोटे-छोटे औद्योगिक क्षेत्र: उद्यमियों का कहना है कि मास्टर प्लान में सिर्फ सात फीसद ही औद्योगिक क्षेत्र रखा गया है, जबकि जिले में करीब 18 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्र की जरूरत है। इस औद्योगिक क्षेत्र को एक ही जगह पर बसाने की तैयारी है। अगर यह जिले की प्रमुख सड़कों के किनारे कई जगह छोटे-छोटे स्तर पर बनाए जाएंगे तो इससे उद्यमियों को अधिक लाभ होगा। मसलन नैनीताल रोड किनारे कोई भी प्लाईवुड फैक्ट्री लगाना आसान होगा क्योंकि उत्तराखंड से कच्चा माल आसानी से मिल सकेगा। इसके साथ ही सभी प्रमुख मार्गों पर वेयरहाउस भी बनाए जाने चाहिए।
बायलाज अब तक नहीं स्पष्ट, विकास शुल्क भी: महायोजना में अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि जो औद्योगिक क्षेत्र बनाया जाना है, उसमें किन नियमों के तहत विकास शुल्क वसूला जाएगा। औद्योगिक विकास शुल्क किस दर पर उद्यमी को देना होगा। इसके साथ ही किन नियमों व मानकों का इस्तेमाल वहां किया जाएगा। इस संबंध में उद्यमियों का कहना है कि यूपीएसआइडीसी के नियमों को ही यहां लागू किया जाना चाहिए, जिससे उद्यमियों को आसानी होगी।
आटोमोबाइल शोरूम को नहीं मान रहे उद्योग: सीबीगंज, परसाखेड़ा में आटोमोबाइल के कई शोरूम वर्कशाप के आगे बने हुए हैं। इनके वर्कशाप तो उद्योग की श्रेणी में माने जाते हैं, जबकि शोरूम को उद्यम नहीं समझा जाता है। इस कारण उन पर हमेशा कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है। जबकि शोरूम में अधिक जगह होती है। सीबीगंज और परसाखेड़ा क्षेत्र विकसित हो चुका है। वहां अब जगह भी नहीं है। इस कारण उद्यमियों ने महायोजना में आटोमोबाइल शोरूम को नियमित करने का सुझाव रखा है।
यहां भी बनाया जाए औद्योगिक क्षेत्र: जिले को जल्द दो नई रिंग रोड मिलने वाली हैं। इसमें रिठौरा और रामगंगा वाली सड़कों पर भी औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा बड़ा बाइपास के पास रहपुरा जागीर में भी औद्योगिक क्षेत्र के लिए खासी जगह है। बदायूं रोड, बीसलपुर रोड, पीलीभीत रोड पर भी औद्योगिक क्षेत्र बनाए जाने का सुझाव उद्यमियों ने दिया है।
बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह का कहना है कि महायोजना 2031 के लिए आपत्तियों की सुनवाई 25 मई से शुरू होनी है। सभी आपत्तियों को गंभीरता से सुना जाएगा और जो सुझाव होंगे उन्हें महायोजना में शामिल किए जाएगा।