Crime Flashback: दिन में ईद मनाई, शाम को हत्या कर रात में गायब हुआ परिवार, बेहद डरावनी है आनर किलिंग की यह कहानी
Crime Flashback रूबी थाना शेरगढ़ के कबरा किशनपुर की रहने वाली थी। गांव से एक किलोमीटर दूर स्वाले मुजाहिदपुर का तस्लीम अपने धान की फसल देखने खेत पर गया तो ईद के चौथे दिन तालाब में शव देखा। यह सूचना उसने थाना शेरगढ़ जा कर दी।
बरेली, (नाहर खान)। Crime Flashback: वह बकरीद का दिन था। खुर्शीद के घर में भी ईद का माहौल था। खुशी-खुशी नमाज पढ़ी और खाने को व्यंजन बने। सभी ने खाया-पीया लेकिन, यह सब दिखावा मात्र था। खुर्शीद ने फैसला कर लिया था कि वह शाम होते ही रूबी को हमेशा के लिए खत्म कर देगा, क्योंकि रूबी की वजह से उसकी गांव में काफी बदनामी हो रही थी।
खुर्शीद ने अपने दोस्त इम्तियाज और बेटे नुर्शद के साथ मिलकर रूबी की हत्या की पटकता लिखी थी। गांव में पहले ही हवा फैला दी थी कि उसका परिवार ईद के बाद रात में ही जयपुर चला जाएगा। ताकि किसी को रूबी की हत्या को लेकर कोई संदेह न हो। शाम होते ही खुर्शीद, नुर्शद व इम्तियाज ने मिलकर दुपट्टे से गला घोंटकर रूबी की हत्या कर दी और रात में परिवार के अन्य सदस्य रात में ही फरार हो गए।
गांव से डेढ़ किमी दूर तालाब में मिला था शव
रूबी को अपनी जिद के सामने कुछ नहीं दिख रहा था। कई बार गांव के ही पप्पू के साथ चली गई। पप्पू का घर रूबी के घर के कुछ दूरी पर रास्ते में ही था। घर से निकलते बैठते दोनों एक दूसरे को देखकर कब करीब आ गए, पता ही ना चला। यह बात पप्पू ने पुलिस को दिए बयान में कही।
कई बार रूबी को पकड़कर परिवार के हवाले किया गया लेकिन, वह मान नहीं रही थी। जब रूबी की वजह से परिवार की बदनामी होने लगी तो पिता व भाई ने उसकी हत्या का प्लान बना डाला। हत्या कर रूबी का शव गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर एक तालाब में मिला था। बकरीद के चार दिन बाद 29 सितंबर 2015 को।
सड़ गई थी लाश, रेंग रहे थे कीड़े
रूबी थाना शेरगढ़ के कबरा किशनपुर की रहने वाली थी। गांव से एक किलोमीटर दूर स्वाले मुजाहिदपुर का तस्लीम अपने धान की फसल देखने खेत पर गया तो ईद के चौथे दिन तालाब में शव देखा। यह सूचना उसने थाना शेरगढ़ जा कर दी। उस वक्त थाने पर दारोगा रणवीर सिंह, एचसीपी जोगराज मौर्य, सिपाही अनिल कुमार, सिपाही भैयालाल, महिला सिपाही दीपा यादव मौजूद थे। शव मिलने की सूचना एसएसपी कार्यालय देकर सभी मोके पर पहुंचे।
शव को पानी से बाहर निकाला गया तो पूरे तरह सड़ चुका था। उसमें कीड़े रेंग रहे थे। पुलिस ने जैसे-तैसे पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराया। तब तक यह जानकारी किसी को नहीं थी कि आखिर शव किसका है। पुलिस को कोई क्लू नहीं मिल रहा था। कई दिन तक पुलिस हवा में हाथ पैर मारती रही। मुकदमा अज्ञात में दर्ज था।
डाक के जरिए एसएसपी को पत्र भेज बताया पूरा घटनाक्रम
इस बीच एक प्रार्थना पत्र एसएसपी कार्यालय से थाना शेरगढ़ पहुंचा। यह प्रार्थना पत्र नगरिया कलां निवासी इम्तियाज ने एसएसपी को लिखकर डाक के जरिए भेजा था। प्रार्थना पत्र में लिखा कि कबरा किशनपुर के खुर्शीद की बेटी रूबी अपने गांव के ही पप्पू से प्रेम करती है। वह कई बार उसके साथ जा चुकी है। पप्पू के साथ शादी करना चाहती है लेकिन पप्पू का परिवार इस बात पर राजी नहीं है।
ईद के दिन से रूबी घर से गायब है। उसको पप्पू ने ही मार कर उसकी लाश गायब कर दी है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। पप्पू का नाम सामने आते ही पुलिस ने उसके परिवार की तलाश की। पता चला पप्पू घर पर नहीं है। दिल्ली में है। पप्पू को दिल्ली से बुलाया गया। अब पप्पू का परिवार खुद को बचाने के लिए पुलिस की मदद में जुट गया। पप्पू का परिवार खुर्शीद को जयपुर देखने गया। लेकिन खुर्शीद बताए गए पते पर नहीं था।
इम्तियाज की चिट्ठी ने अंजाम तक पहुंचाया मुकदमा
पुलिस इम्तियाज तक बिना देर किए पहुंच गई। इम्तियाज के मोबाइल पर रामदास नाम के व्यक्ति का मोबाइल नंबर था। रामदास ने पुलिस को बताया कि इम्तियाज ने 25 सितंबर को ईद वाले दिन दोपहर में उससे कहा था कि खुर्शीद की बेटी रूबी गांव में उसकी बहुत थू-थू करा रही है। उसे रास्ते से हटाना है। इम्तियाज ने रामदास को खुर्शीद का दोस्त होने की दुहाई दी लेकिन, रामदास तैयार नहीं हुआ।
रामदास ने पुलिस को यह भी बताया कि इम्तियाज ने मदद मांगी तो उसके हाथ पांव फूल गए। फिर इम्तियाज से बातचीत करना ही बंद कर दी। इम्तियाज के मोबाइल की सीडीआर से रामदास और इम्तियाज की बातचीत की पुष्टि हो गई। इम्तियाज ने खुर्शीद के मोबाइल पर ईद के दिन 15 बार बातचीत की। आरोपित खुर्शीद व इम्तियाज पुलिस को यह नहीं बता पाए कि उन्होंने इतनी बार क्या बात की।
पुलिस ने दुपट्टा किया बरामद
पुलिस ने जिस दुपट्टे से रूबी की हत्या की गई थी उसे भी खुर्शीद के घर से बरामद कर लिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के गले पर खरोंच के गहरे निशान थे। मुकदमे के विवेचक इंस्पेक्टर उपेंद्र सिंह वारदात की हर कड़ी को मिलाकर ही आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भेजने को तैयार थे।
इसलिए पुलिस ने शव की पहचान कराने के लिए मजबूत साक्ष्य जुटाए। खुर्शीद और उसके बेटे नुर्शद का ब्लड सैंपल लैब भेजा गया। ताकि यह बात साबित हो सके कि अज्ञात लाश खुर्शीद की बेटी रूबी की ही थी। पुलिस इस तथ्य को भी मजबूती देने में कामयाब हो गई।
एडीजीसी रीतराम राजपूत ने पेश कराए 18 गवाह
पुलिस ने मुकदमे का क्लू देने वाले रामदास को पहला गवाह बनाया। कुल 18 गवाह पेश किए गए। परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर केस मजबूत हुआ। इम्तियाज और खुर्शीद 15 बार की कॉल डिटेल के बारे में नहीं बता पाए कि उन्होंने आपस में एक ही दिन में इतनी बात क्यों की और क्या बातें हुईं।
पुलिस को गुमराह करने को चली खुर्शीद के परिवार ने चाल
जब पुलिस तफ्तीश में जुटी थी और पुलिस को कोई सबूत हाथ नहीं लग रहा था तब पप्पू को फंसाने के लिए खुर्शीद ने अपने दोस्त इम्तियाज से एसएसपी को अर्जी डाक से भिजवाई। इसके बाद भी कार्रवाई में देरी होते देख खुर्शीद ने अपनी पत्नी महताब जहां से अदालत में 156 (3) सीआरपीसी की अर्जी पेश कराई कि शेरगढ़ पुलिस कोई सुनवाई नहीं कर रही है। अदालत पप्पू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार कराए लेकिन, खुर्शीद खुद फंस गया।
अपर सेशन जज हरिप्रसाद ने 39 पेज में सुनाया अपना फैसला
अपर सेशन जज हरिप्रसाद ने अपने फैसले में लिखा कि परिस्थिति जन्य साक्ष्य जंजीर की विभिन्न कड़ियों से मिलकर बनता है। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने सबूतों की चूल से चूल मिला दीं। अंत में कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि मृतक रूबी के पिता खुर्शीद, उसके भाई नुर्शद ने दोस्त इम्तियाज से मिलकर रूबी की हत्या की। इन आरोपितों के अलावा कोई और रूबी का हत्यारा नहीं हो सकता था। अदालत ने तीनों आरोपितों को दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों को आजीवन कारावास की सजा भुगतने को जेल भेज दिया गया।