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जब अफसर नहीं चाहते तो कैसे रुके निजी स्कूलों की मनमानी

डिप्टी सीएम ने निजी स्कूलों के अतिरिक्त फीस वसूलने के मसले पर मंडलीय कमेटी बनाई।

By Edited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 11:59 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 06:09 PM (IST)
जब अफसर नहीं चाहते तो कैसे रुके निजी स्कूलों की मनमानी
जब अफसर नहीं चाहते तो कैसे रुके निजी स्कूलों की मनमानी
जेएनएन, बरेली: डिप्टी सीएम ने निजी स्कूलों के अतिरिक्त फीस वसूलने के मसले पर मंडलीय कमेटी को भंग कर दिया। इसके बाद जिला स्तरीय कमेटी गठन करने का आदेश दे दिया। शैक्षणिक सत्र आधा बीत चुका है। सभी बोर्ड में आगामी सत्र की तैयारी तक हो चुकी है। फिर भी इस मसले पर अफसर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। अभिभावकों का आरोप है कि निजी स्कूलों की रसूख के चलते मंडलीय जांच में दोषी मिलने पर उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए जानबूझ कर शासन-प्रशासन मामले को इधर-उधर घुमा रहा है। मई में हुआ था मंडलीय समिति का गठन निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए अप्रैल में सरकार ने अध्यादेश जारी कर मई में मंडलीय समिति का गठन किया। जिसके बाद निजी स्कूलों को फीस का ब्योरा व अन्य खर्च को वेबसाइट पर अपलोड करना था। साथ ही अभिभावकों की शिकायतों पर कार्रवाई करनी थी। ऐसे में अभिभावकों को समस्या के निदान की उम्मींद जगी थी, पर हुआ कुछ नहीं। तीन महीने में रिकॉर्ड किया अपलोड एक महीने मंडलीय समिति बनाने में निकल गया। तीन महीने निजी स्कूलों ने ब्योरा अपलोड करने में लगा दिया। इसके बाद करीब 25 स्कूल कार्रवाई की जद में भी आए। इसी दौरान सिंतबर में डिप्टी सीएम ने यह कमेटी भंग करके जिला स्तरीय समिति गठन के आदेश दिए, जो अभी तक नहीं बन पाई है। वहीं, तीसरे क्र्वाटर की फीस जमा नहीं करने पर अभिभावकों को स्कूल प्रशासन की ओर से चेतावनी दी जा रही है। वर्जन- निजी स्कूलों से सांठगांठ के चलते मंडलीय कमेटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इस बार जिला कमेटी में अभिभावकों का पक्ष रखने वाले लोग भी शामिल होने चाहिए। प्रशासन ने जल्द इसका गठन नहीं किया तो अभिभावकों का शोषण बढे़गा। -अंकुर सक्सेना, अध्यक्ष, अभिभावक संघ। डीएम स्तर से जिला स्तरीय कमेटी गठित होनी है। प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द डीएम की अनुमति मिलते ही यह अस्तित्व में आ जाएगी। -- डॉ. अचल कुमार मिश्र, डीआइओएस।

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