मुश्किल पड जाएगा नोटों का अंधाधुंध उडाना, अब फंसी इनकी गर्दन
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन वित्तीय अनियमितता की शिकायतों पर बैठी पब्लिक एकाउंट कमेटी (पीएसी) के ऑडिट को लेकर बेचैन है।
By Edited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 02:21 AM (IST)
जेएनएन, बरेली : एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन वित्तीय अनियमितता की शिकायतों पर बैठी पब्लिक एकाउंट कमेटी (पीएसी) के ऑडिट को लेकर बेचैन है। मंगलवार यानी 23 अक्टूबर को समिति रुविवि के खर्च का लेखा परीक्षण करेगी। इससे पहले विवि के अधिकारियों ने लखनऊ में डेरा डालकर सीए से ऑडिट कराया है। ताकि पीएसी के परीक्षण का आसानी से सामना कर सके। रुविवि में वर्षो से खुले हाथों से खर्च का सिलसिला चला आ रहा है। सरकारी एजेंसियों से मिले करोड़ों के बजट के अलावा विवि की आमदनी भी शैक्षिक स्तर सुधारने पर खर्च नहीं हो पा रही है। शैक्षिक सत्र 2013-14 में विवि ने कॉलेजों को परीक्षा कराने से पहले करोड़ों रुपये दे दिए। सूत्रों के मुताबिक परीक्षा के बाद बकाया धनराशि की रिकवरी नहीं की गई। इसके अलावा कुछ बड़े प्रोजेक्टों पर भी फिजूल में खर्च किया गया है। वहीं, कर्मचारियों के मानदेय और भत्ते पर भी सवाल उठे हैं। विवि के खर्चे के चर्चे विधानसभा तक पहुंचे तो विस ने पीएसी को ऑडिट की जिम्मेदारी सौंप दी है। अब 23 अक्टूबर को पीएसी की कमेटी विवि के खर्च का हिसाब लेगी। पीएसी में विधानसभा के वरिष्ठ सदस्यों के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी रहेंगे। जो विवि की ऑडिट रिपोर्ट का परीक्षण करेंगे। सूत्र बताते हैं कि विवि के वित्त अधिकारी पिछले कई दिनों से लखनऊ में रहकर ऑडिट करा रहे हैं। जबकि उनकी टीम विवि से पुराने रिकॉर्ड खंगालकर उन्हें लखनऊ भेज रही थी। ताकि पीएसी की जांच में बेदाग साबित हो जाएं। वहीं, रुविवि प्रशासन ने जिन प्रोफेसरों को विभिन्न समितियों, सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी सौंपी है, उनकी बेचैनी भी बढ़ गई है। क्योंकि रूसा और टीईक्यूआइपी का करोड़ों रुपये का बजट खपाया जा चुका है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें