Nexus : अफसरों और ठेकेदारों की सेटिंग से हो रहा जान से खिलवाड़ Bareilly News
निजी बसों की डग्गामारी जहां परिवहन-निगम को तगड़ा झटका दे रही है वहीं रोजाना हजारों यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही है।
जेएनएन, बरेली : सीबीगंज के परसाखेड़ा रोड नंबर दो के सामने शनिवार देर रात हादसे के बाद भी अफसर डग्गामार बसों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। हालात यह है कि निजी बसों की डग्गामारी जहां परिवहन-निगम को तगड़ा झटका दे रही है वहीं रोजाना हजारों यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही है। करीब 170 बसें बरेली से आगरा, दिल्ली, जयपुर के साथ ही बदायूं, पीलीभीत आदि रूट पर दौड़ रही हैं। वहीं इन डग्गामार बसों पर कार्रवाई के नाम पर अफसर को जैसे किसी हादसे का इंतजार है।
परिवहन निगम के बरेली परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रुहेलखंड डिपो, बरेली डिपो, पीलीभीत और बदायूं डिपो के क्षेत्र होते हुए भी करीब 170 निजी डग्गामार बसें दिल्ली, आगरा, जयपुर जैसे बड़े शहरों के लिए फर्राटा भरती है। ज्यादातर बसें 52 सीटर होने के बाद भी डेढ़ गुना सवारी करीब 70 से 80 यात्री बैठाकर यात्र करती हैं। किराए की बात करें तो किराया भी नाम मात्र का है लेकिन विभाग की मिलीभगत से यह पूरा कारोबार बे-रोकटोक चल रहा है।
जर्जर तार में कभी भी शार्टसर्किट से हो सकता है हादसा
ज्यादातर डग्गामार बसों की हालत यह थी कि क्षमता से अधिक सवारियां थी। बसों में जगह-जगह इलेक्टिक वायर निकले थे। ड्राइवर के पास तो तारों व जाल था कि शायद जिसे देखकर सवारियां का भी मन बस में चढ़ने का न हो।
डग्गामार बसों के ठेकेदार की अफसरों से सेटिंग
पूछताछ में पता चला कि निजी डग्गामार वाहन रोडवेज के अधिकारियों की सेटिंग से चलते हैं। बदायूं रोड व बीसलपुर डग्गामार बसों के अडडे से वसूली के लिए ठेकेदार लगे हैं। जो महीने में मोटी रकम अफसरों तक पहुंचाते है। जिसके बदले डग्गामार अनफिट बसों को सड़कों पर दौड़ने का परमिट मिल जा रहा है। वहीं डग्गामार बसें परिवहन निगम को भी महीनों में लाखों का चूना लगा रहा है।
सुरक्षा के नाम पर अग्निशमन यंत्र तक नहीं
बदायूं रोड के साथ बीसलपुर रोड से संचालित होने वाली इन डग्गामार बसों की बात करें तो यह किसी मौत की सावरी से कम नहीं है। शनिवार देर रात सीबीगंज में डग्गामार बस हादसे के बाद जागरण टीम ने जब रविवार को रियल्टी चेक करने पहुंची तो वह भी भौचक रह गई। ज्यादातर डग्गामार बसों में अग्निशमन यंत्र के साथ फस्र्ट एड किट ही नहीं थे। एक दो बसों में फायर एक्सटिंग्यूसर दिखा भी तो वह सालों पुराना, एक्सपायर निकला। चालक व परिचालक से जब पूछा गया तो शायद ही उन्हे इन सुरक्षा किट के बारे में मालूम ही नहीं था।
डग्गामार खटारा बसों की कार्रवाई पर भूमिका आरटीओ डिपार्टमेंट का है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा समय-समय पर ऐसी बसों का चालान किया जाता है।
-सुभाष चंद्र गंगवार, एसपी ट्रैफिक