अब चूहों और छछूंदर के साथ छल करेगा कृषि विभाग, छह दिन तक घेराबंदी के बाद उतारेगा मौत के घाट
चूहों और छछूंदरों को नियंत्रण करने को लोगों को जागरूक करने के लिए एक से 31 जुलाई तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत खेतों में मौजूद चूहों को मारकर उनकी संख्या नियंत्रित की जाएगी
बरेली, जागरण संवाददाता। किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही संचारी रोगों को बढ़ावा देने वाले चूहों और छछूंदरों को कृषि विभाग छल करके मारेगा। चालाक जीवों में शामिल चूहों और छछूंदरों को नियंत्रित करने के लिए कृषि रक्षा विभाग ने छह दिन की कार्ययोजना बनाई जाएगी, जिसका अनुपालन करके इनको मारा जाएगा।
चूहों और छछूंदरों को नियंत्रण करने को लोगों को जागरूक करने के लिए एक से 31 जुलाई तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत खेतों में मौजूद चूहों को मारकर उनकी संख्या नियंत्रित की जाएगी, जिससे फसलों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा। साथ ही चूहों और छछूंदर से फैलने वाली स्क्रब टायफस बीमारी से आम लोगों को बचाया जा सके।
ऐसी होगी चूहों की घेराबंदी: उप निदेशक कृषि रक्षा विश्वनाथ ने बताया कि चूहों को नियंत्रित करने के लिए पहले दिन स्वास्थ्य विभाग आवासीय घरों, खेतों एवं आसपास क्षेत्राें में बिल तलाश करके उनको बंद कर देंगे और वहां पर पहचान चिन्ह बनाएंगे। दूसरे दिन जो बिल बंद मिलेंगे वहां चिन्ह मिटा देंगे। जो बिल खुले होंगे, उनमें एक भाग सरसों का तेल और 48 भाग भुने चनों को मिलाकर बिल में डाल देंगे। तीसरे दिन भी बिलों का निरीक्षण कर चने और तेल मिलाकर डालेंगे। चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की एक ग्राम मात्रा को एक ग्राम सरसों के तेल और 48 ग्राम भुने चने मिलाकर बिलों में डाल देंगे। पांचवें दिन मरे हुए चूहों को खेतों में ही गाड़ देंगे। छठे दिन बिलों को फिर से बंद कर देंगे। अगर फिर भी कोई बिल खुला पाया जाता है तो यही प्रक्रिया दोहराएंगे।
इस विशेष संचारी अभियान का नोडल स्वास्थ्य विभाग को बनाया गया है। इसमें चूहों को नियंत्रित करने के लिए कृषि रक्षा विभाग सहयोग करेगा। चूहों को नियंत्रित करने के लिए खाद्य पदार्थों को चूहों की पहुंच से दूर ऊंचे स्थानों पर रखने और चूहों शत्रु जीवों में शामिल बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमड़ी, बाज, चमगादड़ आदि जीवों के संरक्षण से भी कर सकते हैं। चूहेदानी का प्रयोग करके भी चूहों को पकड़ा जा सकता है। इसके अला
बरेली कालेज के जीव विज्ञानी डा. आलोक खरे ने बताया कि चूहों की याद्दाश्त अच्छी होती है। वे अच्छे और बुरे रास्ते समेत अन्य चीजों से होने वाले खतरों को भांप लेते हैं। अगर चूहों को मारने की योजना बनाते हैं और उन्होंने समझ लिया तो वे उससे दूर रहेंगे।
एसीएमओ डा. आरएन गिरि ने बताया कि विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत एक से 15 जुलाई तक लोगों को जागरूक किया जाएगा। जबकि 16 से 30 जुलाई तक दस्तक अभियान शुरू होगा। आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर घर-घर जाकर टीबी और सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार से संबंधित मरीजों का सर्वे करेंगी। मच्छरों का लार्वा आदि भी चेक किया जाएगा।