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जागरण विमर्श : अब सबको मिलेंगे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार Bareilly News

बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से आकर जम्मू-कश्मीर में बसे 5764 परिवारों को स्थायी नागरिकों के अधिकार से वंचित होना पड़ा।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 05:33 PM (IST)
जागरण विमर्श : अब सबको मिलेंगे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार Bareilly News
जागरण विमर्श : अब सबको मिलेंगे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार Bareilly News

बरेली, जेएनएन : 1947 में राजा हरिचंद ने भारत में विलय के लिए जिस इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किए। अन्य राज्यों जैसे हैदराबाद के निजाम, भोपाल के नवाब ने भी वैसे ही विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, एक पक्ष के दबाव में बाद में इसमें 35-ए धारा जोड़ दी गई। जिसके चलते 14 मई 1944 से पहले बसे लोगों को ही जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक के अधिकार मिल सके।

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बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से आकर जम्मू-कश्मीर में बसे 5764 परिवारों को स्थायी नागरिकों के अधिकार से वंचित होना पड़ा। इतना ही नहीं, इसके चलते भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 का संशोधन भी वहां लागू नहीं हो सका था। साथ ही संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार भी नहीं लागू थे।

अब केंद्र सरकार के धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सभी लोगों को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार मिल सकेंगे। यह बातें बरेली कॉलेज के विधि विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डीके सिंह ने 'जरूरी क्यों था अनुच्छेद 370 का हटाना जाना' विषय पर सोमवार को आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में कहीं।

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डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अनुच्छेद 370 स्थायी नहीं था, यदि 1957 में बनी संविधान सभा उसी समय अनुच्छेद 370 खत्म कर देती तो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के हालात कुछ और होते। मगर तत्कालीन सरकार इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। अब केंद्र सरकार ने तकनीकि तरीके से संविधान में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ही संसद द्वारा अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को निष्क्रिय करने संबंधी प्रस्ताव को पास किया है। साथ ही संविधान के निर्वाचन खंड अनुच्छेद 367 में अनुच्छेद 370(3) के लिए संविधान सभा को परिवर्तित कर विधानसभा कर दिया। संवैधानिक और तकनीकि दृष्टि से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने का यह कदम सही है या गलत, इस पर अंतिम निर्णय उच्चतम न्यायालय लिया जाएगा।

निर्णय में झलकी केंद्र सरकार की इच्छा शक्ति

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि कोई संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसको लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे तो वह खराब ही परिणाम देगा। वर्तमान सरकार ने इस फैसले से अपनी राजनीतिक दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय दिया है। इससे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर में हालत सुधरेंगे। हालांकि, सरकार को इसके लिए वहां के लोगों का दिल और विश्वास भी जीतना होगा।

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हालात में आएगा सुधार 

कश्मीर के सोपोर से बरेली आकर बसे जगमोहन साहनी कहते हैं कि धारा 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को व्यापार, शिक्षा के लाभ नहीं मिलते थे। उनका जन्म कश्मीर में हुआ। स्नातक तक शिक्षा भी हासिल की, लेकिन शैक्षिक दस्तावेज न होने के कारण नौकरी तक नहीं सकते। उन्होंने बताया कि एसेंबली चुनाव को छोड़ दे तो विधानसभा में वोट करने तक अधिकार नहीं दिया जाता था। बंटवारे के समय पाकिस्तान से उनका परिवार कश्मीर आकर बस गया था। मगर 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में हालात ज्यादा बिगड़े तो मजबूरी में उनके जैसे सैंकड़ों परिवारों को जान बचाकर दूसरे राज्यों में बसना पड़ा। उनका कहना है कि सरकार के धारा 370 हटाने के बाद वहां के हालात में सुधार आएगा।  

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