अब मुर्गे के पंख और जूट से सीएआरआइ तैयार करेगा जैकेट
मुर्गा अब कुर्बान होने के बाद भी आपकी शरीर की शान बनेगा। केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) ने मुर्गे-मुर्गियों के वेस्ट मेटीरियल से बॉयो गैस बनाने के बाद अब इसके पंखों और जूट से जैकेट तैयार कराने का निर्णय लिया है।
बरेली, अखिल सक्सेना । मुर्गा अब कुर्बान होने के बाद भी आपकी शरीर की शान बनेगा। केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) ने मुर्गे-मुर्गियों के वेस्ट मेटीरियल से बॉयो गैस बनाने के बाद अब इसके पंखों और जूट से जैकेट तैयार कराने का निर्णय लिया है। सीएआरआइ इसमें कोलकाता के एक संस्थान की मदद भी लेगा।
सीएआरआइ में 40 हजार से ज्यादा मुर्गे-मुर्गियां, गिनी फाउल आदि हैं। संस्थान में इन मुर्गियों की प्रजाति को बढ़ाने, वेस्ट मैटीरियल से बॉयो गैस बनाने सहित कई सफल शोध हो चुके हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि अभी तक संस्थान में जो भी मुर्गियां स्लाटर होती हैं, उसके वेस्ट को जलाया या जमीन में दबाया जाता है। अब यह योजना बनाई जा रही है कि इसके पंखों और जूट की मदद से जैकेट और अन्य चीजें तैयार कराई जाएं। इसको लेकर संस्थान ने प्रस्ताव तैयार किया है।
निदेशक ने बताया कि सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स कोलकाता से बात हुई है। दोनों संस्थान मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। पंखों का मेटीरियल सीएआरआइ देगा और जूट कोलकाता का संस्थान अपने पास से लगाएगा। इस प्रोजेक्ट में आइवीआरआइ के एक वैज्ञानिक और कोलकाता से दो वैज्ञानिक की टीम होगी। प्रोजेक्ट पर काम इसी माह प्रारंभ हो जाएगा और दो साल में उत्पादन प्रारंभ कर देने का लक्ष्य रखा गया है। तीनों वैज्ञानिक इस दौरान विभिन्न पहलुओं के साथ यह भी देखेंगे कि एक जैकेट में कितना जूट और कितना पंख लगेगा।
एक मुर्गी से निकलता है 50 से 80 ग्राम पंख
स्लाटर करने के बाद एक मुर्गा या मुर्गी से 50 से 80 ग्राम तक तक पंख निकलते हैं। करीब चार सौ किग्रा पंख प्रतिवर्ष यहां व्यर्थ चला जाता है। अब इसका सदुपयोग करने की राह निकाल ली गई है।