तीन तालक पीड़िताओं के लिए आवाज उठाने वाली निदा ने किया हाईकोर्ट का रुख Bareilly News
17 जुलाई 2017 को निदा खान के खिलाफ दरगाह आला हजरत स्थित दारुल इफ्ता से फतवा जारी हुआ था।
बरेली, जेएनएन : इस्लाम से खारिज करने के फतवे पर सालभर से सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहीं आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान ने अब हाईकोर्ट में याचिका डालने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि पुलिस ने चार्जशीट से सभी मुख्य धाराएं हटा दी हैं। परिवार को आए दिन धमकियां दी जा रहीं, अभद्रता हो रही। समानता और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए हाईकोर्ट जाऊंगी।
17 जुलाई 2017 को निदा खान के खिलाफ दरगाह आला हजरत स्थित दारुल इफ्ता से फतवा जारी हुआ था। इसमें कहा गया था कि वह बीमार पड़ जाएं तो कोई उन्हें देखने न जाए। मर जाएं तो दफनाने के लिए कब्रिस्तान में दो गज जमीन न दी जाए। इस फतवे की कड़ी आलोचना हुई। अल्पसंख्यक, महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया मगर, इसके बाद कुछ नहीं हुआ।
25 जुलाई 2017 को निदा ने फतवा के खिलाफ बारादरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। वह बोलीं, इस सबके बावजूद कोई कार्रवाई न होना दुखद है। इससे खुराफात करने वालों के हौसले बढ़ रहे। वे आए दिन परिवार के लोगों के साथ अभद्रता कर रहे हैं। धार्मिक सार्वजनिक स्थलों पर आने से रोक रहे हैं। ऐसा कब तक बर्दाश्त किया जाएगा। अपने अधिवक्ता से मशविरा लेने के बाद वह इसी महीने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगी।
कौन हैं निदा खान
शहदाना मुहल्ला में रहने वाले निदा खान की शादी आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां से वर्ष 2015 में हुई थी। उसी साल विवाद के बाद दोनों के बीच तलाक का प्रकरण कोर्ट में चला गया। तब से वह खुद के लिए और अन्य तीन तलाक पीडि़तों के लिए लड़ाई लड़ रहीं।
यह है आरोप
निदा की ओर से फतवा के खिलाफ दर्ज कराए मुकदमे में धारा 295-ए (यानी धार्मिक विश्वास का अपमान), 504 यानी धमकी देने की धारा भी शामिल थी। मई में पुलिस ने चार्जशीट लगाई तब यह धारा हटा दी। महज धमकी देने की धारा पर चार्जशीट लगाई। निदा इसका विरोध कर रहीं। वह कह रहीं कि धारा 295 ए हटाना गलत है।