एनएचएआइ खर्च करेगा 680 करोड़, ब्याज समेत वापस देगा बैंक
पांच महीने से बंद पड़ा बरेली-सीतापुर फोरलेन का निर्माण कार्य जल्द पूरा होगा
जागरण संवाददाता, बरेली : पांच महीने से बंद पड़ा बरेली-सीतापुर फोरलेन का निर्माण कार्य जल्द पूरा होने की आस जग गई है। राजमार्ग के बचे हुए हिस्से के निर्माण को एनएचएआइ 680 करोड़ रुपये खर्च करेगा। बाद में यह रकम प्राधिकरण को ऋणदाता बैंक वापस करेंगी। मंगलवार को एनएचएआइ के दिल्ली स्थित मुख्यालय पर अधिकारियों व बैंकर्स के बीच इस बात पर सहमति बन गई। एनएचएआइ जल्द सड़क के बचे भाग में चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के लिए टेंडर आमंत्रित करेगा। बरसात के बाद सड़क निर्माण का काम शुरू होने की उम्मीद है।
अधिकारी जुटे तो निकला हल
दिल्ली मुख्यालय में एनएचएआइ के मुख्य महाप्रबंधक नवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें लीड बैंक एसबीआइ के महाप्रबंधक अनिल भारद्वाज समेत अन्य सात बैंकों के अधिकारी भी शामिल हुए। आपसी सहमति से तय हुआ कि बचा हुआ काम पूरा कराने के लिए एनएचएआइ एकमुश्त 680 करोड़ रुपये खर्च करेगा। टेंडर के जरिये सड़क निर्माण कराएगा। कार्य पूरा कराने के बाद उसे ऋणदाता बैंक के हवाले कर देगा। बैंकर्स टोल टैक्स की वसूली से सबसे पहले एनएचएआइ की रकम को ब्याज समेत लौटाएंगे। उसके बाद बैंक अपनी रकम निकालेंगे। बैठक में एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी (पश्चिमी उप्र.) चंदन वत्स, परियोजना निदेशक मुकेश शर्मा समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
पांच महीने से रुका है काम
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने पीपीपी मॉडल के तहत 22 जून 2010 को बरेली हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी (बीएचपीएल) के साथ सड़क बनाने का अनुबंध किया था। कंपनी ने अपनी कार्यदायी संस्था इरा इंफ्रा इंजीनिय¨रग लिमिटेड, नोएडा से काम कराया। सड़क निर्माण का कार्य 2011 में शुरू हो पाया। फिर वर्ष 2013 में इरा कंपनी साल भर तक फरार हो गई। करीब पांच महीने पहले बैंक से रकम नहीं मिलने के कारण कंपनी एक बार फिर काम बंद कर फरार हो गई।
कंपनी के खिलाफ दर्ज हो चुकी रिपोर्ट
एनएचएआइ ने बीते दिनों फरार हो चुकी इरा कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया। कंपनी को बर्खास्त भी कर दिया है। इसके साथ ही कंपनी के मालिक के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी है। इरा कंपनी की जमानत राशि के रूप में लगाए गई 55 करोड़ रुपये रि एफडीआर भी जब्त कर ली है।
बैंकों का लग चुका है करीब दो हजार करोड़
करीब 157 किलोमीटर लंबे राजमार्ग की शुरुआती लागत करीब 1951 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 26 सौ करोड़ हो गई। काम 30 महीने में पूरा किया जाना था। सात साल बीतने के बाद भी करीब 80 फीसद ही काम पूरा हो पाया है। अब तक पूरे प्रोजेक्ट में बैंकों का करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। ऋणदाता बैंक एनएचएआइ से मिलने वाली एकमुश्त रकम को वापस करने के बाद टोल टैक्स से अपनी रकम वसूल करेगी। वर्जन
एनएचएआइ फोरलेन का निर्माण जल्द पूरा करना चाहती है। इसलिए बचे हुए निर्माण के लिए एकमुश्त रकम देने को तैयार हो गई है। जल्द नया टेंडर निकालकर बचा हुआ काम कराया जाएगा। फिर सड़क ऋणदाता बैंक के हवाले कर दी जाएगी। बैंक टोल टैक्स से पहले एनएचएआइ की रकम लौटाएगी फिर अपनी रकम वसूल करेगी। इस बात पर सहमति बन गई है।
-चंदन वत्स, क्षेत्रीय अधिकारी (पश्चिमी, उप्र.), एनएचएआइ