बूटों की थाप, बुलंद आवाज, जाट रेजीमेंट के नए वर्ष का आगाज
जागरण संवाददाता, बरेली : जाट रेजीमेंट सेंटर का बख्शी परेड मैदान, एक ओर सैन्य अधिकारी, सैनिक
जागरण संवाददाता, बरेली : जाट रेजीमेंट सेंटर का बख्शी परेड मैदान, एक ओर सैन्य अधिकारी, सैनिक और उनके परिजन। वहीं, दूसरी ओर वो रंगरूट जो हाल में प्रशिक्षण पूरा कर जाट रेजीमेंट में पूरी तरह शुमार हुए हैं। गहरे भूरे रंग की वर्दी और सिर पर लाल पगड़ीनुमा टोपी पहने इन जवानों में परेड कमांडर की बुलंद आवाज और फिर एक साथ सैकड़ों जवानों के बूटों की थाप। यूं लग रहा था मानों आसमां तक यह गूंज पहुंच रही है। जाट रेजीमेंट के 222 वर्ष पूरे होने के बाद परेड के दौरान सलामी ले रहे थे कर्नल ऑफ द जाट रेजीमेंट लेफ्टीनेंट जनरल एसके सैनी और साथ में थे सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर एएन झा।
जाट रेजीमेंट सेंटर में सोमवार को एसके सैनी ने परेड ली। समारोह के दौरान बेस्ट रिक्रूट्स को पदकों से नवाजा गया। सैनी ने जाट रेजीमेंट में शामिल हुए सभी पास रिक्रूट्स को देश सेवा की भावना सर्वोच्च रखने और विषम समय में देश के लिए प्राण भी न्योछावर करने को कहा। इसके बाद पास रिक्रूट्स के साथ फोटो सेशन भी हुआ। शाम को खेल प्रतियोगिता के साथ स्थापना दिवस का समापन हुआ।
इनको मिला सम्मान
बेस्ट इन कैंप-आशीष पूनिया, बेस्ट इन आइपेट-रजत, बेस्ट इन ड्रिल-प्रदीप, बेस्ट इन फिजिकल-अजय कुमार, बेस्ट इन फाय¨रग-विनोद कुमार, सर्वश्रेष्ठ रिक्रूट 2017-सुनील कुमार। ये सभी सम्मान लेफ्टिनेंट जनरल एके सैनी ने दिए। वहीं सिल्वर गरुड़ ट्राफी मेजर जनरल कबींद्र सिंह ने विजेता सुनील कुमार को प्रदान की।
म्यूजियम देखने को पहुंचे सैनिकों के परिजन
स्थापना दिवस और रीयूनियन दिवस के चलते बाहर के कई सैनिक और उनके परिजन भी जाट रेजीमेंट सेंटर पहुंचे थे। ऐसे में उन्होंने सेंटर में बने म्यूजियम में प्राचीन युद्ध के अवशेष और सैनिकों का इतिहास देखा। म्यूजियम में चाइना, पाकिस्तान से हुए युद्ध के दौरान उपयोग में लाए गए प्राचीन अस्त्र-शस्त्र देखे। वहीं इतिहास को भी जाना।