Navratri 2022: पांच शुभ योग के साथ कल से नवरात्र का शुभारंभ, गज पर सवार होकर आएंगी मां जगदंबा
Navratri 2022 Latest News ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां की गज की सवारी बेहद शुभ सूचक मानी जाती है। गज पर सवार होकर मां अपने भक्तों पर धन-धान्य की खूब वर्षा करेंगी। नवरात्र में इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
बरेली, जागरण संवाददाता। Navratri 2022 Latest News: पितृ पक्ष समाप्ति के बाद कल यानी 26 सितंबर सोमवार से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। जो चार अक्टूबर तक चलेंगे। इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण पूरे नौ नवरात्र होंगे। सोमवार को नवरात्र शुरू होने से मां भगवती गज पर सवार होकर धरा पर आएंगी। मां दुर्गा के वाहनों की गणना सप्ताह के दिन के हिसाब से होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां की गज (हाथी) की सवारी बेहद शुभ सूचक मानी जाती है। गज पर सवार होकर मां अपने भक्तों पर धन-धान्य की खूब वर्षा करेंगी। नवरात्र में इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस कारण शारदीय नवरात्र का महत्व कई गुना बढ़ गया है। नवरात्र के पहले दिन ही पांच योग बन रहे हैं।
पहले ही दिन बन रहे ये शुभ संयोग
सोमवार का दिन ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग से प्रतिपदा पर बनने वाले योगों में शुक्ल योग, स्वार्थ सिद्धि योग, शुक्र बुधादित्य योग, ब्रह्म योग और अमृत सिद्धि योग बनेगा। बाकी शेष आठ दिनों में तीन बार रवि योग बनेंगे। 29 सितंबर 30 सितंबर और दो अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे। विशेष चतुर्थी षष्ठी और अष्टमी तिथि में रवि योग रहेंगे। यह योग सभी संकटों को दूर कर सफलता प्रदान करने में सक्षम है।
ऐसे विशिष्ट संयोगों के समागम में नवरात्रि का महत्व इस बार कई गुना ज्यादा बढ़ गया है। जिस कारण मां भगवती की उपासना- आराधना से शिक्षा व धन-धान्य की प्राप्ति होगी और भक्तों के सभी मनोकामनाएं को मां भगवती पूर्ण करेगी।
ऐसे करें घटस्थापना
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। ऐसे में इस दिन घर के पूजा मंदिर में उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ रहता है। माता के लिए पूजा-चौकी पर कलश स्थापित करें। सबसे पहले कलश रखने वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें।
कलश में आम, बरगद, गूलर, पीपल, पाकड़ के पल्लव रखें। इसके बाद कलश को जल या गंगाजल से भरें। कलश में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ जरूर रखें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। संभव हो तो अक्षत से अष्टदल बनाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
शुभ मुहूर्त
घटस्थापना : सुबह छह बजकर 17 मिनट से सात बजकर 55 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक