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कभी खुद बंदोबस्त किया तो कभी जिम्मा एजेसियों को दिया फिर भी..

कभी खुद बंदोबस्त किया तो कभी कूड़ा उठाने का जिम्मा एजेंसियों के हवाले किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 12:55 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 12:55 AM (IST)
कभी खुद बंदोबस्त किया तो कभी जिम्मा एजेसियों को दिया फिर भी..
कभी खुद बंदोबस्त किया तो कभी जिम्मा एजेसियों को दिया फिर भी..

जेएनएन, बरेली : कभी खुद बंदोबस्त किया तो कभी कूड़ा उठाने का जिम्मा एजेंसियों के हवाले किया। व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए तीन बार एजेंसियां बदल दी गई। इसके बावजूद नगर निगम अब तक शहर से कड़ा उठाने की व्यवस्था पुख्ता नहीं कर सका।

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बीते दिनों जिन एजेंसियों को यह जिम्मा सौंपा गया, वे भी मनमानी पर उतर आई। पॉश कॉलोनियों से तो कड़ा उठाया जा रहा, मगर मुहल्लों को छोड़ दिया। वहां सड़क पर ढेर लगे हुए हैं।

आधे से ज्यादा वार्डो तक पहुंच ही नहीं, दो एजेंसियां घिरीं

तीनों एजेंसियों को एक साथ पूरे शहर में कूड़ा कलेक्शन करना था। कुल अस्सी वार्ड हैं। इनमें से आधे से ज्यादा में अब तक कूड़ा कलेक्शन का काम शुरू नहीं हो सका। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की जिम्मेदारी तीन एजेंसियों को दी गई।

इसमें एसएस कांसट्रेक्शन एंड सप्लायर को जोन एक, रमन सिक्योरिटीज को जोन दो व चार और नवयुग चेरीटेबिल एंड वेलफेयर सोसायटी को जोन तीन का काम दिया है। इसमें से दो एजेंसियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं। उन्हें बदलकर काम दूसरी एजेंसियों को देने की तैयारी है।

जहां ज्यादा फीस वहां गए, जहां कम वहां से पीछा छुड़ा रहे

दरवाजों से कूड़ा उठाने के लिए बदले प्रत्येक परिवार को शुल्क देना होता है। पॉश कॉलोनियों में यह शुल्क सौ रुपये तक है, जबकि मुहल्लों में न्यूनतम पचास रुपये। ऐसे में मोटी कमाई के चक्कर में एजेंसी के कर्मचारी पॉश कॉलोनियों से तो कूड़ा उठा रहे, मगर मुहल्लों से नहीं।

जबकि तय यह था कि कर्मचारी पूरे शहर से कूड़ा उठाएंगे। इसके लिए नगर निगम ने 22 छोटी गाड़ियां, रिक्शे भी एजेंसियों को दिए हैं। आरोप यह भी लग रहे कि एजेंसियां मनमानी शुल्क वसूल रहीं। पार्षदों ने इसका विरोध भी किया है। उन्होंने शुल्क की वसूली निगम के हाथों में ही रखने की मांग की है।

खाली प्लॉटों व नालियों में फेंक रहे कूड़ा

घरों में कूड़ा उठाने के लिए कर्मचारी के नहीं आने के कारण लोग खाली प्लॉटों और नाले-नालियों में कूड़ा फेंक रहे हैं। घरों में काम करने वाले लोग भी बाहर ही कूड़ा फेंकते हैं। लोग निगम के शुल्क देने को तैयार हैं, बशर्ते उन्हें सुविधा मिले।

नए नगर आयुक्त से आस

पिछले तीन साल से फेल कूड़ा कलेक्शन योजना की इस बार की शुरूआत फिलहाल ठीक नहीं। जिन मुहल्लों से कूड़ा नहीं उठ रहा, वहां रहने वाले लोगों को नए नगर आयुक्त से आस है कि उनके दरवाजे पर गंदगी के ढेर नहीं लगेंगे।


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