खामोशी से लिख गई मुहर्रम पर अमन की पटकथा
गांवों में ताजिये बगैर किसी टकराव के दफन हो जाएंगे।
जागरण संवाददाता, बरेली : जैसी कि प्रशासन की रणनीति है, अगर सबकुछ वैसा ही हुआ तो तमाम आशंकाओं के बीच दस मुहर्रम यानि यौम-ए-आशूरा अमन के साथ गुजर जाएगा। बिथरी जहां कि तनातनी की तमाम आशंकाएं जताई जा रही हैं, वहां गांवों में ताजिये बगैर किसी टकराव के दफन हो जाएंगे। इसकी पटकथा खामोशी से कई दिन पहले ही लिखी जा चुकी है।
दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है। कुछ ऐसा ही सुबूत प्रशासन ने दिया है। कांवड़यात्रा विवाद में हाथ जला लेने वाले अफसरों ने मुहर्रम पर कारगर रणनीति तैयार की। पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार रास्ते के विवाद को तूल नहीं पकड़ने दिया। एक पक्ष से जरूर आवाजें आती रहीं कि कांवड़यात्रा नहीं निकलने दी, इसलिए हम ताजिये नहीं निकलने देंगे। जवाब में दूसरे पक्ष ने मुखर होकर प्रतिक्रिया नहीं दी। अफसरों ने खामोशी से तमाम विकल्पों पर विचार और उन्हें लागू कराने के लिए काम भी किया। बड़े अफसरों के स्तर से एहतियात बरती गई। प्रशासन की क्या तैयारी है, इसे लेकर किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं किया। इससे जिन गांवों में विवाद है, वहां टकराव की स्थिति नहीं बनी। कयास तो लगाए गए कि बवाल हो सकता है लेकिन दावे के साथ कहने के लिए किसी को आधार नहीं मिला। दूसरी तरफ एडीजी और फिर डीएम ने बिथरी चैनपुर के विधायक पप्पू भरतौल को चाय पर बुलाकर यह मैसेज भी दे दिया कि प्रशासन टकराव टालने की दिशा में संजीदगी से काम कर रहा है। लब्बोलुआब यह कि अगर कलारी से उमरिया आने वाले ताजिये खजुरिया ब्रह्मनान में रोके जाते हैं तो प्रशासन उन्हें या तो हाईवे के रास्ते निकालकर लाएगा, वरना ताजिये कलारी में ही दफन करा दिए जाएंगे। प्रशासन ने इसके साथ ही बिथरी समेत तमाम उन जगहों पर फोर्स के साथ आरपीएफ और पीएसी को भी तैनात कर दिया है। ऐसे में कहीं खुराफात होती है तो उसे वहीं दबा दिया जाएगा। वर्जन
हमारे लिए सबसे पहले अमन है। उसे कायम रखने के लिए होमवर्क कर लिया गया है। आरएएफ पहुंच गई है। पीएसी पहले से मौजूद है। बाहर के जिलों का फोर्स भी मंगा लिया है। किसी ने खुराफात की तो सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।
वीरेंद्र कुमार सिंह, डीएम