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Loksabha Election 2019: इलेक्शन बॉक्स ऑफिस की कसौटी पर 'फिल्म मोदी'

फिल्म पीएम मोदी शनिवार को रुहेलखंड में तीसरी बार रिलीज हुई। जैसा कि हर बार फिल्म के हीरो नरेंद्र मोदी का अंदाज और संवाद बिल्कुल जुदा रहता है। इस बार भी था।

By Edited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:47 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 12:26 PM (IST)
Loksabha Election 2019: इलेक्शन बॉक्स ऑफिस की कसौटी पर 'फिल्म मोदी'
Loksabha Election 2019: इलेक्शन बॉक्स ऑफिस की कसौटी पर 'फिल्म मोदी'

जागरण संवाददाता, बरेली : प्रधानमंत्री पर बनी बायोपिक पर बेशक चुनाव आयोग ने रोक लगा दी लेकिन, रुहेलखंड में भाजपा ने फिल्म मोदी पर ही पूरा भरोसा दिखाया है। कुल जमा छठी और इलेक्शन बॉक्स ऑफिस (चुनाव के दौरान) पर फिल्म 'पीएम मोदी' शनिवार को रुहेलखंड में तीसरी बार रिलीज हुई। जैसा कि हर बार फिल्म के हीरो नरेंद्र मोदी का अंदाज और संवाद बिल्कुल जुदा रहता है। इस बार भी था। उनकी स्क्रिप्ट (भाषण) में विकास, राष्ट्रवाद, आतंकवाद, सेना के शौर्य से लेकर जातिवाद के जवाब का जबरदस्त तड़का लगाया गया। उनके हार डायलॉग पर जनता का जोश और उसी अंदाज में सहमति का जवाब आया। अब देखना दिलचस्प होगा, विधान सभा चुनाव के बाद इलेक्शन बॉक्स पर रिलीज हुई यह फिल्म वोटों का कितना कलेक्शन कर पाती है।

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फिल्म मोदी और रुहेलखंड

फिल्म मोदी यानी नरेंद्र मोदी रुहेलखंड में पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में जनसभा करने पहुंचे। इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान में संतोष गंगवार की सातवीं जीत के लिए उन्होंने वोट मांगे। तब मोदी गुजरात के पीएम थे। उस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की करतूतों को पुरजोर ढंग से उठाते हुए कहा था-दुश्मनों से निपटने के लिए 46 इंच का सीना चाहिए। हालांकि, मोदी की कोशिश नाकाम रही। संतोष पहली बार चुनाव हारे। इस बीच पांच साल कब गुजर गए पता नहीं चला। 20014 में इलेक्शन बॉक्स ऑफिस फिर सजा। इस दफा भी फिल्म मोदी बरेली में रिलीज हुई। तब नरेंद्र मोदी साइड हीरो नहीं बल्कि लीड रोल में थे। यानी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार। महानगर के सामने मैदान में रैली के दौरान उन्होंने संतोष का सातवां फेरा पूरा कराने के लिए वोट मांगे। तब उन्होंने अपने गुजरात और बरेली से मांझा-पतंग का रिश्ता जोड़ा। विकास का हसीन सपने दिखाए। नतीजा रहा, मोदी की आंधी में संतोष का बेड़ा पार हो गया। केंद्र की सत्ता संभालने के बाद रुहेलखंड से मोदी का मोह नहीं छूटा। वे 28 फरवरी 2016 को फिर बरेली आए। रबर फैक्ट्री मैदान में किसान रैली की। भविष्य का रोडमैप रखा। यही वजह जगह थी, जहां से उन्होंने किसानों की आय दूनी करने की मुहिम छेड़ी। केंद्र के बाद बारी उप्र सत्ता की थी। लिहाजा डायरेक्टर यानी भाजपा ने फिल्म मोदी सीरीज पर ही भरोसा जिताया। चुनाव बेशक प्रदेश का था मगर लड़ा पूरी तरह मोदी के चेहरे पर गया। तब 28 फरवरी 2016 को वे सपाई गढ़ बदायूं में रैली करने पहुंचे। फिल्मी मोदी की चौथी सीरीज भी जबरदस्त हिट रही। मंडल की 25 में 23 सीटों पर जीत दर्ज की। तब उनकी स्क्रिप्ट में विकास ही सबसे ऊपर था। 2019 का चुनावी बिगुल फुंकने से पहले 21 जुलाई 2018 को शाहजहांपुर में फिल्म मोदी रिलीज हुई। एक तरह से किसानों दर्शकों को साधने की कोशिश थी। फिल्म यानी नरेंद्र मोदी विरोधियों के अविश्वास का सामना करके आए थे। लिहाजा, उन्होंने किसान, गरीब, पिछड़ों, दलितों के बहाने खुद को नायक साबित किया। किसान समर्थन मूल्य घोषित करके फिल्म के दर्शक बढ़ाए।

मिशन 2019-मोदी ने खुद को बताया बदलाव का 'नायक'

इस बार के इलेक्शन बॉक्स ऑफिस पर अब तक तमाम फिल्म डायरेक्टर यानी विरोधी नेताओं की फिल्म रिलीज हो चुकी थीं। सभी का मिला-जुला प्रदर्शन रहा। कहीं हिट, कही सामान्य। लंबे इंतजार के बाद शनिवार को इंतजार फिल्म मोदी का था। इसलिए भी क्योंकि लोग जानना चाहते थे, मोदी किस अंदाज में सामने होंगे। उम्मीद के मुताबिक, मोदी एंग्री यंग मैन की भूमिका में नजर आए। दर्शकों यानी जनसभा में लोगों को अपने पुराने यानी 2009 वाले अंदाज में रिझाया। बरेली के मांझे के बजाए, पाकिस्तान, आतंकवाद, ¨हदुत्व, राष्ट्रवाद, सेना के शौर्य का बखान के जरिये खूब तालियां बटोरीं। फिल्म यानी जनसभा के हाफ में उन्होंने खुद की सोशल छवि भी पेश की। शौचालय, गैस कनेक्शन, झाड़ू लगाने वाला प्रधानमंत्री जैसे डॉयलाग बोलकर जनता को रिझाया। यह साबित करने की कोशिश की, वही ऐसे नायक हैं जो बदलाव कर सकते हैं।

सेना की धरती

बरेली को नमन देश की सुरक्षा पर जनता की नब्ज टटोलने के बाद उन्होंने बरेली से खुद को सीधे जोड़ा। कहा, यह सेना और वीरों की धरती है। यह अच्छे से जानते हैं कि आतंक क्या होता है, उससे कैसे निपट जाए।


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