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सुपोषण की जंग : मां ने मुंह मोड़ा, कुपोषण से बाहर खींच लाई ‘समझदार’ दादी Bareilly News

भले ही वह अनपढ़ हैं लेकिन उन्होंने जो किया वह दूसरों की आंखे खोलने का काम कर रहा है। ऐसे में दादी ने बच्चे को कुपोषण के जंजाल से बाहर निकालने की ठानी और सफल हुई।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 08:59 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 03:06 PM (IST)
सुपोषण की जंग : मां ने मुंह मोड़ा, कुपोषण से बाहर खींच लाई ‘समझदार’ दादी Bareilly News
सुपोषण की जंग : मां ने मुंह मोड़ा, कुपोषण से बाहर खींच लाई ‘समझदार’ दादी Bareilly News

बरेली [अशोक आर्य] : यह दादी नए जमाने की है, नीम-हकीम और झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ते हुए उसने पोते को नया जीवन दे दिया। भले ही वह अनपढ़ हैं, लेकिन उन्होंने जो किया, वह दूसरों की आंखे खोलने का काम कर रहा है। पहला बच्चा ही अतिकुपोषित हुआ तो मां-बाप हिम्मत हार गए। उससे मुंह मोड़ लिया। ऐसे में दादी ने बच्चे को कुपोषण के जंजाल से बाहर निकालने की ठानी और सफल हुई। दो सप्ताह के नवजात को लेकर दादी पोषण पुनर्वास केंद्र पहुंच गई। इलाज कराया, खुद 15 दिन वहीं रहीं। अब बच्चा कुपोषण से बाहर निकलने लगा है।

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बरेली, उत्तर प्रदेश के गांव मिलक मझारा में रहने वाले देवधर और बसंती के बड़े बेटे धर्मवीर की शादी करीब दो साल पहले नगीना के साथ हुई थी। नौ महीने पहले जब नगीना गर्भवती हुई तो घर में सभी खुश हुए। पिछले महीने नगीना ने बेटे को जन्म दिया, मगर वह सामान्य नहीं था।

पतले हाथ-पैरों पर खाल मानो झिल्ली की तरह थी, पेट बड़ा था। पता चला कि बच्चा गर्भ से ही कुपोषण का शिकार है। नगीना ने पहले ही बच्चे को इस तरह देखा तो मुंह मोड़ लिया। अपना दूध तक नहीं पिलाया। परिजनों ने इलाज को कहा तो वह कुछ नहीं बोली। धर्मवीर भी हताश होकर घर बैठ गए। बच्चे की हालत देख दादी बसंती ने गांव वालों से बातचीत की तो पता चला कि जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (न्यूट्रीशन रिहेबिलिटी सेंटर, एनआरसी) से मदद मिल सकती है।

मां-बाप नहीं माने तो दादी बसंती बच्चे को इलाज के लिए बरेली स्थित जिला अस्पताल ले गईं। वहां पोषण पुनर्वास केंद्र में दिखाया तो हालत गंभीर देख तुरंत उसे भर्ती कर लिया। दादा-दादी भी नजदीक रहने वाले परिचित के यहां ठहर गए। निर्धारित समय पर बच्चे की देखरेख को केंद्र पहुंच जाते। बच्चे का नामकरण भी वहीं किया गया। उसे नाम दिया-राम।

15 दिन तक राम को माइक्रो न्यूट्रीशंस के साथ ही जरूरी दवाएं दी गईं तो उसका वजन बढ़कर सवा दो किलो हो गया। बच्चे की हालत में तेजी से सुधार होने लगा तो उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि उसकी निगरानी होती रहेगी। हर आठवें दिन उसे पोषण पुनर्वास केंद्र बुलाया गया है।

कहती हैं दादी.. 
बसंती बोलीं, गर्भावस्था में जच्चा-बच्चा दोनों की देखभाल और पोषण बहुत जरूरी है, शायद इसी में चूक हुई। लेकिन किन्हीं कारणों से बच्चा अगर कुपोषित हुआ तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे उसके हाल पर छोड़ दें। बहू अभी परेशान है, बच्चे की हालत देखकर वह इतनी ज्यादा हताश हो गई कि उसे ठीक से गोद तक नहीं लिया। बच्चा दिखेगा तो उसकी परवरिश जरूर करेगी। अभी उसे गाय का दूध दे रहे हैं।

बच्चा जब भर्ती कराया गया था तो उसकी हालत काफी खराब थी। उसकी दादी ने उसे जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में लाकर समझदारी दिखाई। वह लगातार उसके साथ रहीं। 15 दिन इलाज के बाद अब बच्चे की सेहत में काफी सुधार है। उसे समय-समय पर बुलाकर दवाएं आदि दी जाती रहेंगी। जल्द ही पूरी तरह सामान्य हो जाएगा। -रोजी जैदी, डाइटीशियन, एनआरसी


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