मां को मरने के लिए छोड़ा, अब अंतिम संस्कार से भी मुंह मोड़ा
कलियुगी बेटे का मुहल्ले वाले इंतजार करते रहे, लेकिन वह मां का अंतिम संस्कार करने के लिए भी नहीं आया।
शाहजहांपुर(रीतेश माथुर)। संसार के रिवाज हैैं, बेटा निभाएगा ही। यही सोचकर बुजुर्ग लीलावती ने उम्मीदें बहुतेरी बांध रखी थीं। सोचा था, शरीर कमजोर होगा तो बेटा ही सहारा बनेगा। चिता को अग्नि देगा। इस लोक में नहीं परलोक में भी श्राद्ध करके तारणहार बनेगा लेकिन..., दुनियावी बदलाव ने लीलावती का तजुर्बा पूरी तरह गलत साबित कर दिया। जीते जी और मरने के बाद भी। अकेले घर बंद लीलावती के प्राण जाने कब पखेरू हो गए, पता नहीं चला। बारी अंतिम संस्कार की आई तो भी कलियुगी बेटा मुंह मोड़ बैठा। थक हारकर कॉलोनी के लोगों ने सोमवार को तैयारी कर ली थी मगर, बेटे ने फोन पर दोपहर तक आने का दिलासा दिया। इंतजार करते-करते शाम हो गई, लेकिन वह नहीं आया। मजबूरन पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम हाउस पर रखवा दिया है। अब मंगलवार को इस मामले में कानूनी राय ली जाएगी।
यह है पूरा मामला
मूल रूप से लखनऊ के आलमनगर क्षेत्र में रहने वाला सलिल चौधरी शाहजहांपुर में टीटीई है। वह रेलवे विभाग की आवासीय कॉलोनी में 85 वर्षीय मां लीलावती के साथ रहता था। शराब की लत होने की वजह से वह पिछले चार माह से ड्यूटी पर नहीं जा रहा था। करीब चार दिन पहले अपनी मां को मकान में बंद करके कहीं चला गया। रविवार को उसने कॉलोनी के कुछ लोगों को वाट््सएप पर मैसेज किया कि उसकी मां की मकान के अंदर मौत हो गई। देख लें। पुलिस ने बंद मकान से शव को निकलवाकर पोस्टमार्टम कराया तो भूख से मौत होने की बात सामने आई।
ट्रेनें आकर चली गईं, सलिल नहीं आया
मां की मौत के बाद से सलिल का कुछ पता नहीं है। सोमवार को रेलवे कॉलोनी के लोगों ने निर्णय लिया कि वे लोग मिलकर लीलावती के शव का अंतिम संस्कार करेंगे। इस बीच सलिल की लोकेशन लेने के लिए उसे फोन लगाया गया तो बताया कि वह लखनऊ में है। त्रिवेणी एक्सप्रेस से आ रहा है। त्रिवेणी एक्सप्रेस आकर चली गई, लेकिन सलिल नहीं आया। मुहल्ले वालों मामले में सदर बाजार इंस्पेक्टर जसवीर सिंह से बात की। बताया कि वे लोग शव का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार है, लेकिन इंस्पेक्टर ने उन लोगों को रोक दिया। यह कहकर कि नियमानुसार 72 घंटे बाद विधिक राय के आधार पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
नहीं रखता था ध्यान
कॉलोनी वालों के मुताबिक, लीलावती बेटे को बेहद प्रयास करती थीं। इसके उलट सलिल गलत संगत में पड़कर उनका ध्यान रखता था। परेशान लीलावती जब हाथ पैरों से थक हार गईं तो घर से भी निकलना बंद कर दिया था।
विधिक राय लेने के बाद होगा अंतिम संस्कार
महिला के बेटे के आने का इंतजार कर रहे हैं। अगर वह मंगलवार को भी नहीं आता है तो विधिक राय लेने के बाद मुहल्ले वालों की इच्छानुसार उनकी मदद से शव का अंतिम संस्कार कराया जाएगा। -जसवीर सिंह, इंस्पेक्टर