जकड़ रही बीमारियां, मच्छरों की नहीं हो रही पहचान Bareilly News
मच्छरों का घनत्व चेक कर टीमों ने सटीक स्थानों पर निरोधात्मक कार्रवाई कराई। घनत्व के साथ ही यह भी देखा कि उस स्थान पर कौन सा मच्छर है।
बरेली, जेएनएन : पिछले साल से मच्छर जनित रोगों के लिए संवेदनशील होने के बावजूद जिले में अब तक इंसेक्ट कलेक्टर की तैनाती नहीं की गई है। इसका खामियाजा स्वास्थ्य विभाग को ही भुगतना पड़ रहा है। मच्छरों के घनत्व व पहचान की जानकारी नहीं हो पा रही है। तमाम संसाधनों को खर्च करने के बाद भी मलेरिया, डेंगू और जेई के मरीज जिले में मिल रहे हैं।
जिले में पिछले साल मलेरिया का जबरदस्त प्रकोप हुआ। आंवला, भमोरा, रामनगर, मझगवां ब्लॉक में हजारों लोग मलेरिया के शिकार हुए। 100 से अधिक मौतें हुईं। मलेरिया का प्रकोप फैलने पर केंद्र व राज्य सरकार की कई टीमों ने जिले में डेरा डाला। मच्छरों का घनत्व चेक कर टीमों ने सटीक स्थानों पर निरोधात्मक कार्रवाई कराई। घनत्व के साथ ही यह भी देखा कि उस स्थान पर कौन सा मच्छर है।
अन्य बीमारियां फैलाने वाला मच्छर भी देखा। तभी तेजी से मौतों का आंकड़ा थमा। मलेरिया के लिए संवेदनशील होने के बाद भी यहां अब तक इंसेक्ट कलेक्टर नहीं तैनात है। जबकि पास के पीलीभीत जिले में दो इंसेक्ट कलेक्टर तैनात किए गए हैं, जिन्हें जरूरत पडऩे पर यहां बुलाया जाता है। इससे स्थायी समाधान नहीं निकल रहा है।
इस तरह करेंगे मच्छरों की पहचान
इंसेक्ट कलेक्टर किसी एक निश्चित स्थान पर प्रति घंटा के हिसाब से मच्छरों की तादात देखते हैं। इसके लिए मच्छरों को इकट्ठा किया जाता है। फिर एंटोमोलॉजिस्ट उसमें बीमारी के वाहक मच्छर की तलाश करते हैं। जहां वाहक मिलता है वहां तुरंत निरोधात्मक कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग कराता है। इससे तुरंत प्रकोप रोकने में मदद मिलती है। इससे यह भी आसानी से पता चलता है कि वहां डेंगू, मलेरिया या फिर जेई का वाहक मच्छर तो नहीं।
इन बीमारियों के लिए ये जिम्मेदार
जिले में इन दिनों मलेरिया का सबसे अधिक प्रकोप है। अब तक बीस हजार से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं। डेंगू के दो दर्जन से अधिक मरीज मिले हैं। वही एक मरीज में जेई भी पाया गया है। तीनों बीमारियों के वाहक मच्छर अलग हैं। मलेरिया फीमेल एनाफिलीज, डेंगू फीमेल एडीज और जापानी बुखार क्यूलेक्स मच्छर से फैलता है। इन वाहकों को तलाशने व पहचानने का काम नहीं हो रहा है।
लाखों खर्च, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी
शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने करीब डेढ़ महीने पहले ही संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया था। इसके तहत संवेदनशील गांवों में फॉगिंग, एंटी लार्वा दवा का छिड़काव, डीडीटी का छिड़काव आदि कराया गया। इसमें लाखों रुपये खर्च कर दिया गया। बावजूद इसके स्थिति आज भी पहले जैसी है। लगातार वेक्टर जनित बीमारियों के मरीज सामने आ रहे हैैं। अब दो सितंबर से फिर संचारी माह शुरू हो रहा है।
हमारे पास इंसेक्ट कलेक्टर का पद है लेकिन उस पर किसी की तैनाती नहीं हुई है। इस बारे में आला अफसरों को पत्र भेजा चुका है। वेक्टर घनत्व पता नहीं हो पा रहा है। -डॉ. विनीत शुक्ला, सीएमओ