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रुहेलखंड के हालात गोरखपुर से ज्यादा खराब, बुखार और संक्रामक रोग से अब तक 73 मौत

पिछले एक हफ्ते से अब तक 73 लोग बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली में मारे जा चुके हैं। बरेली के आंवला और रजऊ में एक दिन के भीतर आठ लोगों ने दम तोड़ दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 02:31 PM (IST)
रुहेलखंड के हालात गोरखपुर से ज्यादा खराब, बुखार और संक्रामक रोग से अब तक 73 मौत
रुहेलखंड के हालात गोरखपुर से ज्यादा खराब, बुखार और संक्रामक रोग से अब तक 73 मौत

बरेली (जेएनएन)। इंसेफ्लाइटिस को लेकर चर्चा में रहने वाले गोरखपुर से ज्यादा खराब हाल इन दिनों रुहेलखंड के हैं। चौमासे भर भारी बरसात के बीच मंडल में बुखार, बेमौसम डेंगू, डायरिया समेत संक्रामक रोगों से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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पिछले एक हफ्ते से अब तक 73 लोग बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली में मारे जा चुके हैं। बरेली के आंवला और रजऊ में एक दिन के भीतर आठ लोगों ने दम तोड़ दिया। कैबिनेट वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने बीते शनिवार को बरेली जिला अस्पताल का निरीक्षण किया, जहां हालात बेहद बदतर मिले। मरीजों को जरूरी सुविधाएं मयस्सर नही थीं। एक-एक बैड पर चार-चार लोग लेटे थे। न दवाएं और न इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध थे। उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुए सीएमएस को जेल भिजवाने तक की चेतावनी दी।

बरेली की आंवला तहसील हाल ज्यादा खराब हैं। जहां जहां बुखार से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं जिला अस्पताल के हालात भी अब लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जिला अस्पताल में वायरल बुखार और डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। प्रतिदिन ओपीडी में एक हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन विभाग इसको लेकर सतर्क नहीं है। स्वास्थ्य विभाग मरीजों के दर्द पर दवाओं का मरहम लगाने में फेल साबित हो रहा है। यहां दवाओं की कमी है। मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं, साथ ही मरीजों के लिए न तो अतिरिक्त डाक्टरों की व्यवस्था की गई है और न ही वार्डों की। आंवला क्षेत्र में तीन दिन में पांच लोगों की मौत हो गई है।

बदायूं में फैले बुखार के प्रकोप से अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। सदर तहसील क्षेत्र के सालारपुर और जगत ब्लॉक क्षेत्र के गांवों में बुखार का प्रकोप अधिक दिखाई पड़ रहा है। जिला अस्पताल से लेकर निजी चिकित्सकों के यहां भी बुखार के मरीज उमड़ रहे हैं। बुखार के साथ डेंगू ने भी दस्तक दे दी है, जिला अस्पताल में कराई गई जांच में डेंगू ज्वर के 10 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। गांवों में बुखार का प्रकोप बढऩे की मुख्य वजह गंदगी और जलभराव की समस्या को माना जा रहा है। बीमार ग्रामीणों के उपचार एवं बचाव के नाम पर स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूरी ही करता दिखाई दे रहा है। बुखार की वजह से जिले में स्थिति गंभीर होने के बाद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी अवकाश पर चले गए हैं।

शाहजहांपुर के ददरौल ब्लाक के बलेली गांव में चार की मौत हो गई। इनमें सुदामा पत्नी भज्जा, सोनी पत्नी राकेश, ममता पुत्री राजेंद्र तथा निशा शामिल है। इसी तरह जलालाबाद के हारगुरैया गांव में ऋषि किशन की चार वर्षीय बेटी पुष्पा की बुखार से मौत हो गई। नगर के नौशारा मुहल्ला निवासी दिनकर गिहार के 12 वर्षीय बेटे ने बुखार में दम तोड़ दिया। पुवायां तहसील के भटपुरा में रवी की 13 वर्षीय बेटी प्रियंका, अनिल के 11 वर्षीय बेटे अनिकेत तथा 62 वर्षीय सुमनलता की बुखार से मौत हो गई। इन सभी की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने गांव में कैंप करके दवा का वितरण और बीमार लोगों के खून की जांच कराई। लेकिन जांच में कोई बुखार पकड़ में नही आया। इसके बाद वायरल मानकर इलाज किया गया।

अब तो बरेली के सीएचसी मझगवां पर प्रत्येक दिन 600-700 बुखार से पीडि़त मरीज पहुंच रहे हैं। चिकित्सक इन्हीं को नहीं देख पा रहे हैं। ऐसे में गांव में कैम्प करना मुश्किल है। जहां एक तरफ डॉक्टरों की टीम गांव में कैंप कर रही है, वहीं बड़ी संख्या में यहां पर मौत के अस्पताल और जिला प्रशासन में खलबली मची है। मौत का आंकड़ा बढऩे के बाद डॉक्टरों का एक दल लखनऊ से बरेली के लिए रवाना हुआ है। डॉ. वैभव राठौर ने बताया कि ग्राम मण्डोरा में कैम्प लगाकर दवाइयां बांटी गईं थी। 


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