लोकसभा चुनाव में धनराशि की हो गई बंदरबाट, बिना बिल हुआ भुगतान Bareilly News
चार्ज लेने वाले दूसरे बाबू ने सवाल खड़े किए कि जो पत्रवलियां सौंपी गईं उनमें कई में यह तक दर्ज नहीं कि चुनाव के दौरान किसे कितने भुगतान किया गया।
बरेली, जेएनएन : लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन कार्यालय में खर्च में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। मामला दो बाबुओं की खींचतान के बाद सामने आया। चुनाव के वक्त जिस बाबू के पास चार्ज था, उसे कुर्सी से हटाया गया तो कुछ फाइलें ऐसी आईं जिन पर संशय हुआ। चार्ज लेने वाले दूसरे बाबू ने सवाल खड़े किए कि जो पत्रवलियां सौंपी गईं, उनमें कई में यह तक दर्ज नहीं कि चुनाव के दौरान किसे कितने भुगतान किया गया। बिल लगाए बिना रकम खर्च कर दी गई।
पिछले दिनों डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह ने बड़े बाबू देवेंद्र शर्मा से कैश और लेखा संबधी चार्ज ले लिया था। जिसके बाद कनिष्ठ बाबू हर्षित गौरव को चार्ज दे दिया गया। इसके बाद देवेंद्र शर्मा से सभी फाइलें देने को भी कहा गया था। लोकसभा चुनाव के समय देवेंद्र शर्मा के ही पास चार्ज था। आदेश के बाद देवेंद्र ने कुछ ही फाइलें दीं, बाकी रोक लीं तो हर्षित गौरव ने इसकी शिकायत डीएम से की है।
हर्षित का कहना है कि 46 दिन बीतने के बावजूद देवेंद्र ने अब तक सिर्फ 161 पत्रवलियां ही दी हैं। जो फाइलें भुगतान से संबधित उपलब्ध कराई गई हैं, उसमें भुगतान की क्रेडिट स्लिप पत्रवली में उपलब्ध नहीं है। इसके साथ भुगतान किसको किया है यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि अभी भी बहुत सारे लोगों को पूरा भुगतान नहीं किया गया है। शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने डीएम ने एडीएम प्रशासन को नोटिस जारी करने के लिए कहा है।
मिली थी अग्रिम धनराशि
लोकसभा चुनाव के लिए प्रशासन को अग्रिम धनराशि के रुप में एक करोड़ 82 लाख 71 हजार 750 मिले थे। इस धनराशि में उसने एक करोड़ 66 लाख 31 हजार 921 रुपये खर्च किए थे। खास बात यह है कि 16 लाख 39 हजार 829 रुपये उसके खाते में बच गए थे, जिसे राजकोष में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि टेंट और सीसीटीवी लगाने वालों का अभी भी पूरा भुगतान नहीं हुआ है। हालांकि अलग-अलग निगरानी टीम में शामिल सदस्यों को तीन लाख 11 हजार 600 रुपये का भुगतान कर दिया गया है।
रद्दी की रही थी चर्चा
चुनाव के समय चुनाव कार्यालय में जमा रद्दी को लेकर भी चर्चा रही थी। कहा जा रहा था कि इस रद्दी को ठिकाने लगा दिया गया। इसके लिए न तो टेंडर बुलाए गए और न ही किसी प्रक्रिया का पालन किया गया। किसी को खबर तक नहीं हुई। मामला जब बड़े अधिकारियो तक पहुंचा तो पूछताछ शुरू हुई । कहा जा रहा है कि इस मामले को लेकर भी कई लोग निशाने पर हैं।