Pilibhit में चार माह के बच्चे पर बंदर का हमला, पैर में दांत से काटा, घर के आंगन में लेटा था बच्चा
Pilibhit Monkey Attack छत पर बंदर हमला कर देते मगर घर का आंगन तो सुरक्षित हो सकता है। यह सोचकर स्वजन ने चार माह के बेटे को चारपाई पर लिटा दिया। जैसे ही उनकी निगाह बची बंदर ने बच्चे पर झपटटा मार दिया।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। Pilibhit Monkey Attack : छत पर बंदर हमला कर देते हैं मगर, घर का आंगन तो सुरक्षित हो सकता है। यह सोचकर स्वजन ने चार माह के बेटे को चारपाई पर लिटा दिया। जैसे ही उनकी निगाह हटी, बंदर ने बच्चे पर झपट्टा मार दिया। उसके पैर में दांत से काटा। बच्चे के रोने की आवाज पर स्वजन दौड़े तब बंदर वहां से भागा। मंगलवार दोपहर को हुई घटना में घायल बच्चे का जिला अस्पताल में उपचार कराया गया।
दोपहर में हुई घटना
ग्राम मनपुरा निवासी सूरजपाल कृषक हैं। उन्होंने बताया कि दोपहर करीब तीन बजे चार माह के बेटे संस्कार को आंगन में दीवार की छाया में लिटा दिया था। उसे मक्खी लगने लगीं तो चादर लेने के लिए कमरे में गए, अन्य स्वजन घरेलू कार्य में व्यस्त थे। इसी बीच एक बंदर चारपाई पर कूदा और बेटे के पैर में दांत मार दिया।
बंदरों से लोगों में बैठा डर
बच्चे के रोने की आवाज पर कमरे से दौड़कर बाहर आए और बंदर को भगाया। बेटे को लेकर तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए। वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। सूरजपाल बोले, बंदरों के कारण इतना डर बैठ गया कि अब बेटे को कभी अकेले बाहर नहीं छोड़ेंगे। ग्रामीणों ने बताया कि बंदरों के झुंड आए दिन हमला कर रहे हैं।
छह महीने में जानिए कितने हमले कर चुके बंदर
छह महीने में सात-आठ लोगों को घायल कर चुके, इसके बावजूद बंदर पकड़ने का इंतजाम किया गया। इसी तरह बीसलपुर कस्बा में भी लगातार हमले हो रहे। पिछले वर्ष नगर के हबीबुल्ला खां जुनूबी निवासी महिला कौशल्या देवी पर बंदरों के झुंड ने हमला कर दिया था। हड़बड़ी में वह आंगन में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।
कुछ दिन उपचार के बाद उनकी मृत्यु हो गई। करीब पांच महीने पहले मुहल्ला दुर्गा प्रसाद निवासी भीम सेन शर्मा पर भी बंदरों ने झपट्टा मार दिया था। इसी तरह एक दर्जन से अधिक लोग बंदरों के हमलों से घायल हो चुके हैं। नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी वंदना शर्मा का कहना है कि शीघ्र ही अभियान चलाकर बंदरों को पकड़वाया जाएगा।
हमला हुआ तो बंदर पकड़ने की सुध आई
मनपुरा के ग्रामीणों का कहना है कि करीब एक वर्ष से बंदरों की संख्या अचानक बढ़ गई। संभव है कि किसी अन्य स्थान से पकड़कर यहां छोड़ दिए गए हों। बार-बार शिकायत के बाद भी इन्हें पकड़वाने के इंतजाम नहीं हुए। मंगलवार को बच्चे पर हमले के बाद अधिकारियों ने सुध ली।
सहायक विकास अधिकारी पंचायत हरीश भारती ने बताया कि कुछ गांवों में बंदरों के हमले की जानकारी अधिकारियों को दे दी है। इन्हें पकड़ने के लिए वन विभाग से अनुमति ली जाएगी। इसके बाद किसी फर्म या ठेकेदार से वार्ता कर बंदर पकड़वाकर जंगल में छुड़वाएंगे। इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों से वार्ता की गई है।