MNREGA : पीडब्ल्यूडी का निर्माण कार्य मजदूरों को दे रहा हौसला, चला रहा रोजी-रोटी
कोरोना संक्रमण काल में मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया हैं। ऐसे में पीडब्ल्यूडी मनरेगा मजदूरों काम देकर उनका हौसला बढ़ा रहा है।
बदायूं, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल में मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया हैं। ऐसे में पीडब्ल्यूडी मनरेगा मजदूरों काम देकर उनका हौसला बढ़ा रहा है। इसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं। जिनकी रोटी पीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्यों की वजह से चल रही हैं। प्रयास किए रहे हैं कि इसमें अधिक से प्रवासी मजदूरों को लाभ मिल सके।
पीडब्ल्यूडी के जिले में बड़े कामों में समरेर का पुल और मझिया रोड पर सीसी रोड, बाईपास पर पुल का काम चल रहा है। इसके अलावा सभी छोटे मोटा सभी काम 10 से 12 चल रहे हैं। जिसमें रोजाना दो मजदूरों की जरूरत होती है। इसमें मनरेगा के तहत करीब डेढ़ सौ मजूदरों का काम दिया जा है। जिसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं। नियमित रूप से चल रहे कामों में मनरेगा के मजदूरों का लगाया जा रहा हैं। जिससे इनके परिवार की रोटी चल सके।
प्रवासियों को लेकर समस्या यह आ रही हैं कि उनको काम की जानकारी नहीं होती हैं। लेकिन इसके बाद भी उनको ऐसे कामों में लगाने की कोशिश की जाती हैं। जिसे वह आसानी कर सकें। मनरेगा से काम दिए जाने वाले मजूदरों की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों भी रहती है। बारिश की वजह निर्माण कार्य कम हो गए हैं। फिर कहीं ने हाईवे पर सड़कों में गड्ढे भरने काम प्रमुखता से चलता रहता हैं। इस काम के लिए शासन भी आदेश है कि गड्ढे होने पर तुरंत भरवाएं जाए।
बारिश में मजदूरों के सामने काम का संकट
कोरोना संक्रमण की वजह से ज्यादातर विकास कार्य रूक गए हैं। विभागों के पास बजट ही नहीं हैं। आमतौर पर प्राइवेट निर्माण कार्य भी बहुत कम हो रहे हैं। ऐसे में मजदूरों के सामने से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। पीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्य मजदूरों को संजीवनी देने का काम कर रहे हैं। अधिकारियों की माने तो प्रयास किए जा रहे हैं। काम को और बढ़ाया जाए। जिससे मनरेगा के तहत और प्रवासी मजदूरों को काम दिया जा सके।
विभाग की तरफ से छोटे बड़े सब मिलाकर 10 से 12 निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिसमें मनरेगा तहत मजदूरों को ज्यादा काम दिया जा रहा हैं। इसमें प्रवासी भी शामिल हैं। आगे और काम बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे मजदूरों को अधिक रोजगार मिल सके।
- अमर सिंंह, अधीक्षण अभियंता, प्रांतीय खंड