पुदीना ने भर दी जीवन में 'हरियाली'
वैसे तो पुदीना तमाम व्याधियों के लिए औषधि है लेकिन, इसकी खेती अति अल्प जोत वाले किसानों की गरीबी दूर करने का अचूक नुस्खा है।
बरेली (लोकेश प्रताप सिंह)। वैसे तो पुदीना तमाम व्याधियों के लिए औषधि है लेकिन, इसकी खेती अति अल्प जोत वाले किसानों की गरीबी दूर करने का अचूक नुस्खा भी है ये कम लोगों को ही पता होगा। इस हकीकत को समझने के लिए पीलीभीत के ब्लॉक बरखेड़ा क्षेत्र के गाव पिपरिया मंडन आना पड़ेगा। इस गाव के किसान रामस्वरूप ने पुदीना की खेती को अपनाकर न सिर्फ अपनी गरीबी दूर कर ली बल्कि वह अन्य किसानों को लिए बन गए हैं।
पाच साल पहले तक रामस्वरूप का परिवार अत्यंत गरीब था। सिर्फ दो बीघा पुश्तैनी खेती में इतना अनाज पैदा ही नहीं हो पाता था कि साल भर तक परिवार का पेट भर सके। ऐसे में वह खुद और पत्नी दोनों मजदूरी करके जैसे तैसे गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। चार बेटिया और दो बेटों के साथ परिवार में कुल आठ सदस्य हैं। दो बीघा खेत में साल भर में दो फसलें लेते थे, गेहूं और धान। खेत में सिंचाई के लिए भी अपना कोई साधन उनके पास नहीं था। मुफलिसी के इसी दौर में रामस्वरूप की मुलाकात छोटे किसानों के बीच काम करने वाली संस्था कृषक बंधु विकास समिति के प्रबंधक सत्येंद्र कुमार से हुई। उन्हीं के सुझाव पर खेत में बोरिंग कराकर पैडल पंप लगा लिया और सब्जियों की खेती शुरू कर दी लेकिन इसमें समस्या यह आने लगी कि बंदर व अन्य घुमंतू जानवर खेत में घुसकर सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचाने लगे।
घुमंतू जानवर रोकने के लिए भी अचूक : इसी दौरान इस किसान को राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ढाका से मुलाकात का मौका मिला। उनसे जब यह समस्या बताई तो कृषि वैज्ञानिक ने उन्हें सलाह दी कि खेत की मेड़ पर चारो ओर पुदीना लगा दो। इससे अतिरिक्त कमाई भी होगी और जानवर भी पुदीना की महक से खेत में नहीं घुसेंगे। तब उन्होंने अपने खेत में इसका प्रयोग किया। परिणाम काफी अच्छे रहे। बंदर और दूसरे घुमंतू जानवर खेत मेड़ तक आकर ही लौट जाते। रामस्वरूप अपने दो बीमा खेत की मेड़ पर एक मीटर की चौड़ाई में पुदीना की खेती कर रहे और खेत के अंदर धनिया, मूली, मेथी, लहसुन, प्याज, मिर्च के साथ ही पपीता की फसलें करने लगे। उनके खेत में साल के बारह महीने कोई न कोई सब्जियों की फसल हमेशा बनी रहती है। इससे हाथ में हर समय पैसा रहने लगा। पुदीना से उन्हें फरवरी से लेकर नवंबर तक अच्छी कमाई होती है। तभी तो चार-पाच साल के भीतर ही पक्का मकान बना लिया। बड़ी बेटी की धूमधाम से शादी कर दी। पत्नी का मजदूरी करना छूट गया। वह सब्जियों की खेती में ही पति का हाथ बंटाने लगी।
रामस्वरूप के अनुसार साल भर में सभी खर्चे निकालकर उन्हें एक लाख पंद्रह हजार रुपये की बचत हो जाती है। अब तो उन्हें सात बीघा जमीन ठेके पर प्राप्त कर ली है। ठेके की इस जमीन पर वह गेहूं और धान की पैदावार कर रहे हैं। उनकी कामयाबी से सीख लेकर गाव में अल्प जोत वाले कई किसानों ने भी उन्हीं के फामरूले से खेती करना शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : पिपरिया मंडन के किसान रामस्वरूप ने सब्जियों की फसल को बंदरों, बकरियों आदि से बचाने के लिए खेत के किनारे किनारे पुदीना लगा दिया। अब यह पुदीना उनके लिए नौ महीने की नकदी फसल बन गया है। स्थानीय स्तर पर गन्न्ो का रस व शिकंजी आदि बेंचने वालों के बीच ही पुदीने की पर्याप्त खपत है, लिहाजा 70-80 रुपए किलो के हिसाब से खेत से ही बिक जाता है। हरा पुदीना बचने पर उसे सुखाकर पाउडर बनाकर बेंचने का भी विकल्प है। -डॉ. एसएस ढाका, कृषि वैज्ञानिक पीलीभीत