Move to Jagran APP

बरेली की टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार होंगे पीपल के लाखों पौधे, रुहेलखंड विवि रोपेगा एक लाख पीपल के पौधे

कोरोना काल में आक्सीजन की किल्लत को लेकर जो मारामारी रही। उसे लेकर राजभवन ने संज्ञान लिया है। राजभवन की ओर से पूरे प्रदेश में समस्त विवि को पीपल के एक-एक लाख पौधे रोपित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 10:31 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 10:31 AM (IST)
बरेली की टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार होंगे पीपल के लाखों पौधे, रुहेलखंड विवि रोपेगा एक लाख पीपल के पौधे
बरेली की टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार होंगे पीपल के लाखों पौधे

बरेली, जेएनएन। कोरोना काल में आक्सीजन की किल्लत को लेकर जो मारामारी रही। उसे लेकर राजभवन ने संज्ञान लिया है। राजभवन की ओर से पूरे प्रदेश में समस्त विवि को पीपल के एक-एक लाख पौधे रोपित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसमें रुहेलखंड विवि भी एक लाख पौधे रोपेगा। इन पौधों की व्यवस्था विवि को अपने स्तर से करनी होगी। इसके साथ ही विवि और उससे संबद्ध महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विशेषज्ञ पौधों का रोपण करवाकर उनके प्रयोग और लाभ के विषय में लोगों को जानकारी देंगे। साथ ही प्रोफेसर्स ही इनके देखरेख की जिम्मेदारी लोगों को सौंपेंगे।

loksabha election banner

लेकिन इतने पौधे बरेली की नर्सरी में कैसे मिलेंगे। इस संबंध में विशेषज्ञों ने राय दी। कानपुर में टिश्यू कल्चर नर्सरी के तहत इतने पौधों को तैयार किया जाता है। इस बार भी टिश्यू कल्चर नर्सरी का सहारा लिया जाएगा। फिकस रिलिजियोसा कुल का यह पेड़ 900 से 1500 साल तक रह सकता है। तो इससे सालों साल पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है।

क्या होता है टिश्यू कल्चर-

बहुतायत संख्या में पौधों की आवश्यकता होने पर कई बार ऐसे पौधे कानपुर स्थित टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार किये जाते हैं। जैविक अनुसंधान विधि है। जिसके तहत पौधे के ऊतक के टुकड़े को एक कृत्रिम वातावरण में रखा जाता है। जिसमें उनकी सारी प्रतिक्रया होती हैं। साथ ही उनके वंश की वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया के तहत 10 सा 12 दिन में एक पौधा तैयार किया जा सकता है। अगर इस प्रक्रिया में ज्यादा पौधे बनाने होते हैं। तो उनकी संख्या बढ़ा दी जाती है। जिससे कि कम समय में पर्याप्त पौधे प्राप्त हो सकें।

राजभवन से पत्र आया है। एक लाख पौधे रोपित किये जाने है। इसकी व्यवस्था विवि स्तर से ही की जाएगी। अभी विवरण मांगा है कि पौधों की व्यवस्था कब तक हो सकती है। यह विवरण 30 जून तक भेजा जाएगा। नर्सरी में इतने पौधे प्राप्त नहीं हो सकते हैं। इसके लिए टिश्यू कल्चर नर्सरी से भी संपर्क किया जा सकता है। प्रो केपी सिंह, कुलपति रुहेलखंड विवि

एंटी कैंसर की दवाओं का स्रोत है पीपल

बरेली कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर राजीव का कहना है कि शोध के अनुसार पीपल की पत्तियां हवा में मौजूद जहरीले भारी तत्व लैड इत्यादि की सांद्रता की सूचक भी है। यह शहर में यातायात के घनत्व को भी दर्शाती है। पीपल की छाल में फाइटोस्टेरॉल्स जैसे लेनोस्टीरॉल्स, ग्लूकोसाइड आदि पाए जाते हैं। पत्तियों में शिरीन,एसपार्टिक एसिड,ग्लाइसिन,थ्रीओनाइन,ऐलनीन, प्रोलिन जैसे अमीनो एसिड मौजूद रहते हैं। वहीं फलों में कार्बोहाइड्रेटस,प्रोटीन,फैट,कैल्शियम तथा आयरन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। जो कि एंटी कैंसर,एंटी आक्सीडेंट,एंटी डायबिटिक, एंटी माइक्रोबियल दवाएं पीपल के वृक्ष से तैयार की जाती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.