Health : सेहतमंद बनेगा मिड-डे-मील, लडे़गा कुपोषण से जंग Bareilly News
सब्जियों को एमडीएम में पकाकर बच्चों को सेहतमंद बनाया जाएगा। आंवला करेला बैंगन खीरा लगाया जाएगा।
बरेली, जेएनएन : प्रदेश सरकार कुपोषण मुक्ति के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए 2857 आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। बच्चों को तरह-तरह के पुष्टाहार खिलाए जा रहे हैं। सरकार कुपोषण मुक्त करने का लगातार दावा करती आ रही है। इसके बावजूद जनपद में 51,570 बच्चे कुपोषित और 6,268 बच्चे अति कुपोषित हैं। इन्हें कुपोषण से मुक्त बनाने को अब पोषण वाटिका का सहारा लिया जाएगा, जिससे बच्चों का बचपन सेहतमंद बन सके।
प्रदेश सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए शबरी, पोषाहार जैसी योजनाएं चला रही है, लेकिन कुपोषण बच्चों का पीछा नहीं छोड़ रहा। कुपोषण से निपटने के दावों की जनपद में हवा निकल रही है। केंद्रों पर हर माह पोषाहार दिवस, ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस आयोजित होते हैं, लेकिन जिले में कुपोषण का सच कुछ अलग है। विभाग के मुताबिक दिसंबर माह में अतिकुपोषित श्रेणी में 6,492 बच्चे और कुपोषित श्रेणी में 52,639 बच्चे थे।
कुपोषण दूर करने को चलाए जा रहे ये कार्यक्रम
बचपन दिवस
लाडली दिवस
ममता दिवस
किशोरी दिवस
अन्नप्रासन
बाल सुपोषण उत्सव
जन स्वास्थ्य एवं स्वच्छता दिवस
ये दिए जा रहे पुष्टाहार
विनिंग फूड
प्रीमिक्स लड्डू
मीठा व नमकीन दलिया
पोषण वाटिका से सुधरेगा स्वास्थ्य
कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए पहले से एमडीएम योजना चल रही है। अब बच्चों के घर, आंगनबाड़ी केंद्रों व परिषदीय विद्यालयों में पोषण वाटिका लगाने की योजना शुरू की गई है। इसमें उगने वाली सब्जियों को एमडीएम में पकाकर बच्चों को सेहतमंद बनाया जाएगा। आंवला, करेला, बैंगन, खीरा लगाया जाएगा।
मॉडल के रूप में विकसित किए जाएंगे 160 केंद्र
जनपद के 160 आंगनबाड़ी केंद्र मॉडल केंद्र के रूप में विकसित किए जाएंगे। यहां खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाई और ज्ञानवर्धन के लिए प्ले स्कूलों की तर्ज पर प्रोजेक्टर, लैपटाप सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। शासन के निर्देश पर विभाग की तरफ से इसको लेकर काम शुरू कर दिया गया है। बीच में कोई दिक्कत नहीं आई तो वित्तीय वर्ष के अंत तक चयनित केंद्रों को मॉडल स्वरूप प्रदान कर दिया जाएगा।
बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। लगातार बच्चों की संख्या में कमी होती जा रही है। -डॉ. आरबी सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी