18 साल बाद पहुंचा घर मगर पत्नी ने बंद किए दरवाजे
18 साल से मानसिक रोग का दंश झेलने वाले एक बुजुर्ग को बीमारी से ज्यादा दर्द अपना
जेएनएन, बरेली : 18 साल से मानसिक रोग का दंश झेलने वाले एक बुजुर्ग को बीमारी से ज्यादा दर्द अपनों ने ही दे दिया। लंबे इलाज के बाद सही होने के बाद घर पहुंचा, लेकिन कदम घर की दहलीज पर ही ठिठक गए। पत्नी ताला लगाकर चली गई थी। पुलिस ने संपर्क किया तो तलाक का मुकदमा चलने की बात कहकर वापस आने से मना कर कर दिया। मानसिक अस्पताल लौटे बुजुर्ग ने अब वृद्धाश्रम जाने से भी इन्कार कर दिया है। बोले, अब तो यहीं मरेंगे, ठीक से अंतिम संस्कार तो हो जाएगा।
61 वर्षीय यह बुजुर्ग उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रहने वाले हैं। जून 1999 में अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। भरा पूरा परिवार था। उम्मीद थी ठीक होकर फिर से अपनों के बीच खुशियों के पल बिताएंगे, लेकिन भर्ती कराने के बाद परिजन पलटकर नहीं आए। ठीक होने पर अक्टूबर 2017 में परिजन को सूचना भेजी। फिर भी कोई नहीं आया। तब एंबुलेंस से घर भिजवाया गया। पति के घर आने की खबर पर पत्नी ताला लगाकर चली गई। देर शाम तक एम्बुलेंस उनके लौटने का इंतजार करती रहीं, लेकिन उनके बजाय आया था जवाब। तब टीम बुजुर्ग को लेकर लौट आई। पुनर्वास केंद्र जाने से किया इन्कार
ठीक होने वाले लोगों को पुनर्वास के लिए वृद्धाश्रम भेजा जाना है। शुक्रवार को मेडिकल बोर्ड ने के सामने बुजुर्ग ने वहां जाने से मना कर दिया। कहा कि, यहां बीमार पड़ेंगे तो देखभाल हो जाएगी। विश्वास है कि मरेंगे भी तो अंतिम संस्कार ठीक से होगा। वर्जन
इलाज के बाद आठ लोग घर जाने की स्थिति में हैं। उन्हें लेने परिवार से कोई नहीं आ रहा। पुनर्वास के लिए इन्हें वृद्धाश्रम भेजा जा रहा है। पांच चिह्नित हो चुके हैं। एक बुजुर्ग ने फिट होने पर भी आश्रम जाने से मना कर दिया है।
-डॉ. प्रमिला गौड़, एडी हेल्थ