भूख न प्यास, ताजुशरिया के आखिरी दीदार की आस
ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां अजहरी मियां के चाहने वालों की भीड़ उमड़ने लगी।
जागरण संवाददाता, बरेली : जहां-जहां तक खबर गई वहां-वहां से ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां अजहरी मियां के चाहने वालों की भीड़ उमड़ने लगी। बुजुर्ग, बच्चे, जवान, यहां तक कि बुर्कानशीं महिलाएं भी आने लगीं। उन्हें न भूख की परवाह है और बारिश की फिक्र। आंसू हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे। वे रोकर और गिड़गिड़ाकर दुआएं मांग रहे हैं। सभी को बस अपने पीर के आखिरी दीदार की जुस्तजू है। चाहते हैं कि बस एक नजर उनके चेहरे पर पड़ जाए। हर दिल में यही तमन्ना है, किसी भी तरह जनाजे तक पहुंच जाएं, जो दरगाह आला हजरत स्थित आवास में रखा है।
पीर से बेइंतहा मुहब्बत का यह दूसरा तारीखी (एतिहासिक) मंजर है। अब से पहले जब मुफ्ती आजम ¨हद मुफ्ती मुस्तफा रजा खां ने दुनिया से पर्दा फरमाया था तो मुरीद इसी तरह भीड़ की शक्ल में उमड़ आए थे। तब नमाज-ए-जनाजा में इस्लामिया कॉलेज का मैदान भर गया था। उसी तरह अब जानशीन मुफ्ती आजम ¨हद अजहरी मियां के शुक्रवार शाम पर्दा फरमाने के बाद भीड़ के आने का सिलसिला शुरू हुआ और रात से लगातार जारी है, उसे देखकर लग रहा है कि जनाजे की नमाज में इस्लामिया इंटर कॉलेज का मैदान छोटा पड़ सकता है। देश ही नहीं, विदेश से भी तमाम मुरीद आने के लिए फोन कर चुके हैं। वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर मैसेज चल रहे हैं। खिराजे अकीदत पेश करने वालों की आंखें नम हैं और चेहरे दर्द की दास्तां बया कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि ताजुशरिया के पर्दा फरमाने पर अफसोस जताने के लिए हमारे पास अल्फाज नहीं हैं। दिल चीर कर दिखा नहीं सकते। कोई लिख रहा है, अजहरी मियां आपके बगैर हम कैसे जियेंगे। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी का मैसेज आया कि यह सुन्नियत का बड़ा नुकसान है, भरपाई नामुमकिन है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगान ने कहा कि ताजुशरिया का यूं चले जाना गहरा सबके लिए गहरा सदमा है। सियासी, समाजी, कारोबारी और नौकरशाह भी अफसोस का इजहार करने दरगाह पहुंच रहे हैं।