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जागरण विशेष : स्कूलों में अवसाद ग्रस्त बच्चों की तलाश करेंगे मनदूत व मनपरी, फिर उनको दिलाएंगे इलाज Bareilly News

स्कूलों में अवसाद ग्रस्त व हताश बच्चे अब छिपे नहीं रहेंगे। ऐसे बच्चों की तलाश के लिए स्कूलों में मनदूत व मनपरी बनाए जाएंगे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 09:51 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 07:04 PM (IST)
जागरण विशेष : स्कूलों में अवसाद ग्रस्त बच्चों की तलाश करेंगे मनदूत व मनपरी, फिर उनको दिलाएंगे इलाज Bareilly News
जागरण विशेष : स्कूलों में अवसाद ग्रस्त बच्चों की तलाश करेंगे मनदूत व मनपरी, फिर उनको दिलाएंगे इलाज Bareilly News

अशोक आर्य, बरेली : स्कूलों में अवसाद ग्रस्त व हताश बच्चे अब छिपे नहीं रहेंगे। ऐसे बच्चों की तलाश के लिए स्कूलों में मनदूत व मनपरी बनाए जाएंगे। जो उनके अभिभावकों को बच्चे की समस्या बताकर उसका इलाज करवाया जाएगा। इससे स्कूलों में या छात्र-छात्राओं में होने वाले आत्महत्या के मामलों में कमी लाई जा सकेगी।

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मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम के तहत जिले के स्कूलों में होने वाली आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए नई पहल की गई है। इसके तहत जिले के 35 सरकारी और 35 गैर सरकारी स्कूलों को चिह्नित किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के लिए वहां के एक शिक्षक को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। इन स्कूलों में कक्षा छह से 12वीं तक सभी कक्षाओं में एक छात्र और एक छात्रा को चिह्नित किया जाएगा। ये छात्र-छात्राएं मानीटर की तरह मनदूत व मनपरी कहलाएंगे। इन मनदूत व मनपरी को स्कूल में ऐसे बच्चे पहचानने की ट्रेनिंग दी जाएगी जो अवसाद से ग्रसित हैं या फिर किसी अन्य मानसिक बीमारी की चपेट में हैैं।

छात्र-छात्राओं को दिलाया जाएगा इलाज

मनदूत व मनपरी अपने स्कूल में अवसाद ग्रसित बच्चे के बारे में स्कूल के नोडल अध्यापक को बताएंगे। इसके बाद नोडल अध्यापक बच्चे के अभिभावकों से बात करके उसे जिला अस्पताल में स्थित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम के पास पहुंचाएंगे। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चे की काउंसिलिंग कर उपचार कराया जाएगा। इससे छात्र-छात्राओं को आत्महत्या व अन्य मानसिक रोगों की चपेट में आने से रोका जा सकेगा।

वर्जन

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम के तहत स्कूलों में नोडल अध्यापक चिह्नित कर उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है। स्कूलों में जल्द मनदूत व मनपरी बनाई जाएंगी। वे अपने स्कूल में अवसाद ग्रसित बच्चों को पहचान कर उपचार दिलवाएंगे। इससे आत्महत्या के मामले रोके जा सकेंगे।

-डॉ. आशीष कुमार, मनोरोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल  


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