Make Small Strong : संकट से बाहर निकलने में काम आया हिम्मत न हारने का फार्मूला, लोगों का मिला सहयोग
मन में हो विश्वास हिम्मत न हारने के मंत्र को शिरोधार्य कर लिया जाए तो फिर बड़ी से बड़ी विपदा से भी बखूबी निकला जा सकता है। रामपुर गार्डन स्थित एचएम सैलून के डायरेक्टर वरूण मित्रा ने इसी मंत्र का सहारा लिया तो उन्होंने कोरोना संकट से पार पा लिया।
बरेली, जेएनएन। मन में हो विश्वास, हिम्मत न हारने के मंत्र को शिरोधार्य कर लिया जाए, तो फिर बड़ी से बड़ी विपदा से भी बखूबी निकला जा सकता है। रामपुर गार्डन स्थित एचएम सैलून के डायरेक्टर वरूण मित्रा ने इसी मंत्र का सहारा लिया, तो उन्होंने कोरोना संकट से भी पार पा लिया। सैलून और ब्यूटीपार्लर के कारोबार से जुड़े वरूण ने इन्हीं गुणों की बदौलत पूरे जिले में कारोबार में अपनी अलग पहचान बनाई है। ग्राहकों पर विश्वास बनाकर एचएम सैलून ने पूरी बरेली में अपनी अलग पहचान कम समय में ही बना ली है।
गौरव बताते हैं कि मां रंजना मित्रा बीएड के साथ ही टेबिल टेनिस की अच्छी खिलाड़ी भी रहीं। 1990 में मां ने मॉडल टाउन स्थित घर में ही अपने निक नेम रजिया के नाम से पार्लर खोला। इसके लिए वह कोलकाता से प्रशिक्षण लेकर आयी थी। यही नहीं सैलून मैनजमेंट, ब्यूटी थैरेपिट्स का कोर्स भी किया। छोटे से घर से शुरू किए गए काम ने सन 2000 में बरेली में सबसे पहले सैलून कंसेप्ट लाते हुए रजियास के नाम से सैलून खोला। इसके बाद अन्य लोग भी इस कंसेप्ट में आ गए। इसी बीच एमबीए व सैलून ट्रेड में इंटरनेशनल सर्टिफिकेट प्राप्त करने व इंश्योरेंस सेक्टर की नौकरी छोड़कर मां के साथ हाथ बटाना वरूण ने शुरू कर दिया।
2012 में बरेली आने के बाद 2013 में और बड़ा कंसेप्ट लाने का काम किया। इसके बाद 2013 में एचएम सैलून ओपन किया। जिसमें पत्नी अंकिता मित्रा जिनके पास भी कई इंटरनेशनल सर्टिफिकेट है ने साथ में काम करते हुए एचएम सैलून को एक ब्रांड बनाने का काम किया।
काम को अब धीर-धीरे मिलने लगी गति
वरूण बताते हैं कि इससे पहले सिविल लाइंस में उनकी शॉप थी। जहां लैंडलार्ड ने कम समय में ही उसे खाली करने को कहा। ऐसे में काफी जगह सैलून बंद हो जाने का भी शोर मचा। रामपुर गार्डन में दोबारा जगह देख सैलून कम समय में तैयार कराया। ओपनिंग के समय में हीं लॉकडाउन लग गया। थोड़ी सी कठिनाई जरूर हुई, लेकिन सभी ने साथ दिया। अब तो स्थिति सामान्य हो रही है। जीवन में अब तक आए उतार-चढ़ाव में जिन्होंने भी उनका कारोबार में साथ दिया।
पहले लॉकडाउन फिर कंटेनमेंट जोन
अंकिता ने बताया कि दोबारा सैलून खोलने में काफी दिक्कत आयी। सबसे पहले लॉकडाउन में सैलून बंद रहा। जबकि अनलॉक में जब छूट मिली तो एरिया कंटेनमेंट जोन होने के कारण नहीं खुल सकी। हालांकि इन सभी दिक्कतों के बीच सोशल साइट्स के माध्यम से उन्हें काफी लोगों का सहयोग भी मिला।भरोसा व ईमानदारी से मिली सफलता वरूण ने बताया कि इस सफलता के पीछे मां और पत्नी का साथ है। जबकि इसके साथ ही ग्राहकों का भरोसा व ईमानदारी से किए जा रहे कार्यों से हम आज सफल हो सके हैं। बताया कि कुछ ग्राहक इधर उधर चले गए लेकिन उनकी ईमानदारी व मेहनत के चलते एक बार फिर से सभी वापस आ गए।