विधायक के दावे पर भारी पड़े भगवाधारी स्वामी, भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा
तराई के जिला के राजनीतिक फलक पर स्वामी प्रवक्तानंद भगवाधारी पहचान रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी प्रवक्तानंद को बरखेड़ा विधानसभा सीट पर दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है। वह दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। स्वामी प्रवक्तानंद का विवादों से भी नाता रहा है।
जासं, पीलीभीत: तराई के जिला के राजनीतिक फलक पर स्वामी प्रवक्तानंद भगवाधारी पहचान रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी प्रवक्तानंद को बरखेड़ा विधानसभा सीट पर दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है। वह दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। विगत वर्ष जिला पंचायत चुनाव के दौरान स्वामी प्रवक्तानंद टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर नाटकीय अंदाज में समाजवादी पार्टी में चले गए थे, फिर अचानक ऐन मौके पर वापस लौट आए थे। स्वामी प्रवक्तानंद का विवादों से भी नाता रहा है। मरौरी विकास खंड के गांव मुंडिया रत्नपुरी निवासी स्वामी प्रवक्तानंद का बरेली हाईवे स्थित खमरिया पुल पर अक्रूर धाम नामक आश्रम है। आश्रम से ही वह रहकर राजनीतिक एवं सामाजिक गतिविधियों में सक्रियता बनाए रखते हैं। भगवाधारी होने के बाद भी शुरू से ही उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है। स्वामी प्रवक्तानंद की पहचान सांसद वरुण गांधी के करीबी के तौर भी रही है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सांसद वरुण गांधी की सिफारिश पर ही स्वामी प्रवक्तानंद को भारतीय जनता पार्टी ने बरखेड़ा सीट से पार्टी उम्मीदवार बनाया था। हालांकि वह चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके थे। इस चुनाव में स्वामी प्रवक्तानंद को 38,882 वोट (19.8 प्रतिशत) प्राप्त हुए थे। वर्ष 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी प्रवक्तानंद की बजाय किशनलाल राजपूत को उम्मीदवार बनाया था। जिससे नाराज होकर स्वामी प्रवक्तानंद ने भाजपा से बगावत कर राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर बरखेड़ा सीट से ताल ठोंकी थी। इस चुनाव में स्वामी प्रवक्तानंद को 22,631 वोट (10.8 प्रतिशत) प्राप्त हुए थे। थोड़े समय बाद स्वामी प्रवक्तानंद फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। विगत वर्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान स्वामी प्रवक्तानंद ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन भाजपा ने डॉ दलजीत कौर को उम्मीदवार बनाया। जिससे नाराज होकर स्वामी प्रवक्तानंद रातोंरात समाजवादी पार्टी के पाले में शामिल हो गए थे। लेकिन सत्ताधारी दबाव के चलते स्वामी प्रवक्तानंद ऐन मौके पर समाजवादी पार्टी को नाटकीय अंदाज में बाय बाय कह दिया था। उस वक्त राजनीतिक गलियारे में स्वामी प्रवक्तानंद की खासी फजीहत हुई थी। स्वामी प्रवक्तानंद के खिलाफ आपराधिक केस भी दर्ज हैं।
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