लखनऊ सीबीसीआइडी करेगी पूर्व सांसद और विधायक के फर्जी लेटरपैड मामले की जांच, ट्रांसफर के लिए इस अफसर ने किया था प्रयोग
बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव व एक अन्य विधायक के फर्जी लेटरपैड पर ट्रांसफर कराने के मामले की जांच बरेली सीबीसीआइडी से अब लखनऊ हेड आफिस भेज दी गई है। जांच में तेजी लाने के लिए अब लखनऊ मुख्यालय की इकाई कार्रवाई को आगे बढ़ाएगी।
बरेली, जेएनएन। बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव व एक अन्य विधायक के फर्जी लेटरपैड पर ट्रांसफर कराने के मामले की जांच बरेली सीबीसीआइडी से अब लखनऊ हेड आफिस भेज दी गई है। वर्ष 2017 में बदायूं में तैनात अपर जिला सहकारी अधिकारी रवि शंकर चौधरी ने सीतापुर ट्रांसफर के लिए फर्जी लेटरपैड का प्रयोग किया। सहकारिता सचिव एसके वर्मा भी इस फर्जीवाड़े में शामिल था। प्रकरण की जांच बरेली रेंज की सीबीसीआइडी को दी गई थी, दोनों की भूमिका पाए जाने पर 12 दिसंबर को लखनऊ के कैसरबाग में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जांच में तेजी के लिए लखनऊ मुख्यालय की इकाई कार्रवाई को आगे बढ़ाएगी।
सीबीसीआइडी की अब तक हुई जांच के मुताबिक, मामला तब सामने आया जब अपर जिला सहकारी अधिकारी रवि शंकर चाैधरी के कार्यालय के कर्मचारियाें को संदेह हुआ। क्षेत्रीय लोगों ने पूर्व सांसद धमेंद्र यादव से मामले की शिकायत की। इस पर धमेंद्र यादव ने पूरे प्रकरण की शिकायत शासन से की। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच सीबीसीआइडी बरेली को सौंपी गई।
जांच इंस्पेक्टर जीएस पवार ने शुरु की। जांच में सामने आया कि अपर जिला सहकारी अधिकारी ने उस वक्त ट्रांसफर कराने के लिए सहकारिता के सचिव एसके वर्मा से संपर्क किया। एसके वर्मा को ट्रांसफर-पोस्टिंग की पूरी प्रक्रिया की जानकारी थी। लिहाजा, उसी ने फर्जीवाड़ा कर ट्रांसफर की पूरी स्क्रिप्ट लिखी। सांसद की पैरवी पर ट्रांसफर की फाइल शासन स्तर पर जब खंगाली गई तो उसमें भी ऐसे स्थानांतरण का कोई जिक्र न था।
इस पर जांच टीम ने मुख्यमंत्री के सचिव को स्थानांतरण पत्र दिखाया था। जिसमें फर्जी तरीके से स्थानांतरण की बाद सामने आई। मुख्यमंत्री के सचिव के निर्देश के इंस्पेक्टर जीएस पवार ने रवि शंकर चौधरी और एसके वर्मा पर 120बी, 420, 467, 468 व 471 धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
सीआइएस करेगी जांच
मामलेे की जांच अब सीआइएस (सेंट्रल इनवेस्टीगेशन सेक्टर) करेगी। यह सीबीसीआइडी का ही एक विंग है। गंभीर मामलों की जांच सीआइएस को सौंपी जाती है। यह जांच टीम सीधे डीजी पुलिस को रिपोर्ट करती है। साथ ही कम समय में जांच पूरी कर टीम जांच डीजी काे सौंपती है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई तय होती है।
सीबीसीआइडी बरेली के इंस्पेक्टर की ओर से मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था। लिहाजा, बरेली सीबीसीआइडी अब आगे की जांच नहीं कर सकती। जांच सीआइएस लखनऊ को सौंप दी गई हैै। - प्रज्ञा मिश्रा, एसपी, सीबीसीआइडी