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एशियाड में दिखाया दम, अब मैदान मारने की मन में ठानी

जकार्ता में पिछले दिनों संपन्न एशियाड खेलों ने देश की कई प्रतिभाओं ने रूबरू कराया। अब यहां के खिलाडि़यों को सुविधाएं देने पर जोर दिया जा रहा

By Edited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 02:42 AM (IST)
एशियाड में दिखाया दम, अब मैदान मारने की मन में ठानी
एशियाड में दिखाया दम, अब मैदान मारने की मन में ठानी
पंच लाइन जकार्ता में पिछले दिनों संपन्न एशियाड खेलों ने देश की कई प्रतिभाओं ने रूबरू कराया। यह एहसास भी कराया कि ओलंपिक समेत अन्य मुश्किल मुकाबलों में भी हमारे खिलाड़ी चीन, अमेरिका, इंग्लैंड के खिलाड़ियों के एक छत्र राज को टक्कर देने के लिए तैयार हैं। देश ही नहीं, इस बार का एशियाड बरेली के खेल जगत में भी दम भर गया। जाट रेजीमेंट में अभ्यास करने वाले एथलीट मंजीत सिंह ने आठ सौ मीटर दौड़ में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। मंजीत के अलावा पहली बार बरेली के पांच खिलाड़ी एशियाड में शामिल हुए। बेशक, वे कोई खास करिश्मा नहीं कर पाए लेकिन, एशियाड तक उनके सफर भर ने खेल की हालत सुधारने की पहल कर दी। उनके जोश और जज्बे को देखकर खेल से जुड़ी संस्थाएं भी चेती हैं। संसाधनों में सुधार को प्रतिबद्ध नजर आने लगी हैं। रुहेलखंड विश्वविद्यालय अपने स्टेडियम में एथलीट के लिए सिंथेटिक ट्रैक, फुटबाल, क्रिकेट का अलग मैदान तैयार करने जा रहा है। स्पो‌र्ट्स स्टेडियम बैडमिंटन, स्वीमिंग पूल की हालत सुधारने की कोशिश में जुटा है। सिंथेटिक ट्रैक पर फर्राटा भरेंगे धावक रुहेलखंड विश्वविद्यालय का दायरा बरेली-मुरादाबाद मंडल के नौ जिलों तक है। हर साल विवि के सैकड़ों खिलाड़ी जोनल और ऑल इंडिया विश्वविद्यालय प्रतियोगिताएं खेलते हैं। अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा धावक आते हैं। इनकी संख्या करीब पांच सौ तक पहुंच जाती है। विवि ने इन धावकों को तराशने के लिए करीब 7.95 करोड़ की लागत से सिंथेटिक ट्रैक तैयार करने का इरादा किया है। प्रस्ताव वित्त विभाग के पास है। जल्द ही बजट मंजूर होने की उम्मीद है। सेंसर रिकॉर्ड करेंगे हर कदम की दूरी रुविवि का सिंथेटिक ट्रैक ऑस्ट्रेलिया की तकनीक से बनेगा। ट्रैक पर सेंसर लगे होंगे। धावक ने एक कदम कितने समय में तय किया। यानी हर पल का रिकॉर्ड सेंसर में रिकॉर्ड करेंगे। विवि के क्रीड़ा सचिव प्रोफेसर एके जेटली के मुताबिक, विवि ने जो ट्रैक का प्रस्ताव बनाया है, ऐसा ट्रैक आस-पास तक नहीं है। ट्रैक पर अभ्यास करने वाले खिलाड़ी मानकों के अलावा अपनी सही क्षमता जान सकेंगे। दौड़ने के समय की कमियां समेत सब कुछ रिकॉर्ड होगा। ट्रेंड कोच एथलीटों को प्रशिक्षित करेंगे। विवि अंतरराष्ट्रीय खेल मानक के मुताबिक खिलाड़ी तैयार कर पाएगा। फुटबाल, क्रिकेट का अलग मैदान रुविवि कैंपस के स्टेडियम के अलावा फुटबाल और क्रिकेट का एक अलग मैदान तैयार होगा। इसमें हॉकी भी खेली जाएगी। दो खेल मैदान होने से कैंपस में नियमित खेल गतिविधियां होंगी। इससे खिलाड़ियों को अभ्यास का भरपूर मौका मिलेगा। अभी एक मैदान होने से सभी खेलों की प्रतियोगिताएं और अभ्यास एक साथ नहीं हो पाते हैं। कोच की तलाश में विवि रुविवि का क्रीड़ा विभाग अपने खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए कोच की व्यवस्था पर विचार कर रहा है। फौरीतौर पर दो कोच की तलाश की जा रही है। इसके बाद बीपीएड और वरिष्ठ खिलाड़ियों की मदद से जूनियर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। खेलो इंडिया से संवरेगी सूरत केंद्रीय युवा एवं खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया योजना के जरिये खेल के हालात सुधारने की पहल की है। संशोधित योजना के मुताबिक अब स्टेडियम का ढांचागत विकास भी कराया जा सकेगा। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी लक्ष्मी शंकर सिंह ने बताया कि खेलो इंडिया से बैडमिंटन हाल और स्वीमिंग पूल की मरम्मत का प्रस्ताव बनाया गया है। डीएम की अनुमति के बाद इसे शासन को भेजा जाएगा। स्टेडियम को एस्ट्रोटर्फ की जरूरत बरेली के कई हॉकी खिलाड़ी हर साल राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं तक पहुंचते हैं। मगर वे संसाधनों के अभाव में मात खा जाते। दरअसल स्टेडियम में घास पर हॉकी खेली जाती है, जबकि अन्य बड़ी जगहों पर एस्ट्रोटर्फ मैदान है। ऐसे में यहां के खिलाड़ी हॉकी में जान लगाकर भी कुछ खास नहीं कर पाते हैं। इसीलिए खेल विभाग ने स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के पीछे के खाली मैदान में हॉकी का एस्ट्रोटर्फ मैदान तैयार करने का मन बनाया है। खेलो इंडिया के जरिये इस प्रोजेक्ट को भी धरातल पर उतरने की उम्मीद की जा रही है। कोच का भी बदला नजरिया एशियाड खेलों के बाद से विभिन्न खेलों के कोच का भी नजरिया बदला है। वे अच्छे खिलाड़ियों की तलाश के साथ ही उन्हें तराशने में जुटे हैं। स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में फुटबाल, क्रिकेट, बास्केटबाल और हॉकी में नियमित अभ्यास चल रहा है। खिलाड़ियों को दिलाएंगे इंडोर स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में सेपक टाकरा का इंडोर स्टेडियम नहीं है। जबकि यहां की चार खिलाड़ियों ने सेपक टाकरा में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इसमें अब दो खिलाड़ी एसएसबी का हिस्सा हो गई हैं। हालांकि, स्टेडियम में संसाधनों की उपलब्धता से इतर कोच बीए शर्मा खिलाड़ियों को हर सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर आश्वस्त दिखते हैं। वह कहते हैं कि अगर यहां इंडोर की व्यवस्था न हुई तो हम प्रयास करेंगे कि दूसरे स्टेडियम में जाकर खिलाड़ियों को इंडोर में प्रशिक्षित करें। हमारा मकसद 2022 में होने वाले अगले एशियाड में देश को पदक दिलाने वाले खिलाड़ी तैयार करना है। 10 लाख छात्रों से तराश सकते खिलाड़ी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज और मंडल के माध्यमिक विद्यालयों में 10 लाख से ज्यादा विद्यार्थी हैं। माध्यमिक खेल प्रतियोगिताओं में हर साल सैकड़ो खिलाड़ी राज्य प्रतियोगिताएं खेलते हैं। जबकि विवि से भी सैकड़ों की संख्या में खिलाड़ी जोन, जोनल और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेलने जाते हैं। खेल सुविधाएं बेहतर न हो पाने की वजह से यह राज्य में तो पदक जीते लेते, पर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक पाने में विफल हो जाते हैं। खेल संघों पर बड़ी जिम्मेदारी बरेली में क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, वॉलीबाल, बैडमिंटन, सेपक टाकरा, भारोत्तोलन, टेबल टेनिस, ताइक्वांडो समेत अमूमन हर खेल के संगठन हैं। ये लगातार खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित कराते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं, खेल संघों को और सक्रिय होना होगा। इनके पास जो अच्छे खिलाड़ी हैं, उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिलाने के लिए हर संघ पहल करे तो हर खेल से एक-दो खिलाड़ी बेहतरीन खिलाड़ी निकल सकते हैं। ------------------ हर डिग्री कॉलेज अपनी टीम अंतर महाविद्यालय टूर्नामेंट में जरूर भेजेंगे। कॉलेज यह लिखित पत्र भी देंगे कि टीम का चयन प्रतियोगिता के आधार पर हुआ है। खेल में सुधार के लिए कॉलेज स्तर पर ही मेहनत करनी होगी। अच्छे खिलाड़ियों को विवि हर संभव सुविधाएं मुहैया कराने को तैयार है। प्रोफेसर एके जेटली, क्रीड़ा सचिव रुविवि ------------ स्कूल, कॉलेज खेल गतिविधियों पर फोकस करेंगे। नियमित खेल हों। अच्छे खिलाड़ी जब कोच के पास आएंगे, तो वह उन्हें प्रशिक्षित कर अच्छा खिलाड़ी बना पाएंगे। लक्ष्मीशंकर सिंह, क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी -------- हर कोच की यह ख्वाहिश होती है कि उनका खिलाड़ी देश के लिए खेले। हमारे पास कई शानदार खिलाड़ी हैं, उम्मीद है कि वह भविष्य में देश के लिए खेलेंगे। खेल में सुधार के लिए माता-पिता से लेकर स्कूल, कॉलेज और कोच सबका सहयोग जरूरी है। -शमीम अहमद, फुटबाल कोच व उप क्रीड़ा अधिकारी

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