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जागरण संवाद : बाजार में कैश की कमी, लोन देने से कतरा रहे बैंक Bareilly News

रोजाना बढ़ते खर्च कम कीमत पर मिलने वाला चाइना का सामान प्लाईवुड इंडस्ट्री को मुश्किल में डाले हुए है। बाजार में नकदी खत्म हो चुकी है जिस कारण ग्राहक दूरी बनाए हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 09:45 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 01:40 PM (IST)
जागरण संवाद : बाजार में कैश की कमी, लोन देने से कतरा रहे बैंक Bareilly News
जागरण संवाद : बाजार में कैश की कमी, लोन देने से कतरा रहे बैंक Bareilly News

जेएनएन, बरेली : रोजाना बढ़ते खर्च, कम कीमत पर मिलने वाला चाइना का सामान प्लाईवुड इंडस्ट्री को मुश्किल में डाले हुए है। बाजार में नकदी खत्म हो चुकी है, जिस कारण ग्राहक दूरी बनाए हैं। बावजूद इसके एक उम्मीद की किरण बाकी है। अगर सरकार की दवा प्लाईवुड इंडस्ट्री को मिल जाए तो बीमार हो रहे कारोबार की हालत में सुधार मिले।

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दैनिक जागरण सभागार में शनिवार को हुए संवाद के दौरान प्लाईवुड कारोबारियों ने मंदी जैसे हालात में इस उद्यम की परेशानियों को साझा किया। बोले, वे सीधे तौर पर काश्तकार से जुड़े हुए हैं। उनकी इंडस्ट्री चलाने के लिए सिर्फ पॉपुलर और यूकेलिप्टिस के पेड़ की लकड़ी की जरूरत होती है। यह सीधे काश्तकारों से ही खरीदी जाती है। बावजूद इसके सरकार ने जीएसटी की 18 फीसद वाली दर में रखा है। उनके कारोबार से किसी बड़े पेड़ को काटना नहीं पड़ता। उन्होंने बताया कि बाजार में चाइना के आइटम ने कारोबार को कम किया है। ऑनलाइन खरीदारी ने भी काम को खराब किया है। कारोबारियों ने चाइना की तरह की लेबर पॉलिसी बनाने की बात कही। कारोबारियों ने कहा कि सरकार के सहयोग के अभाव में लाभ एक फीसद बचा है जबकि जीएसटी 18 फीसद चुकाना पड़ रहा है।

बैंक मदद करें तो मंदी से उबरे

कारोबारियों के मुताबिक आज बैंकों के डिफाल्टर्स बढ़ रहे हैं। ऐसे में बैंकों ने भी लोन देने में हाथ पीछे कर लिए हैं। इस कारण भी कारोबार कम होता जा रहा है। बैंकों ने कारोबार हल्का होने के कारण लिमिट भी कम कर दी है। दरअसल, एनपीए बढ़ने से बैंक अधिकारी ज्यादा सतर्क हुए हैं। दो महीने अगर लोन ठीक नहीं चलता तो छह माह तक आगे रकम नहीं देते। तीन महीने में एनपीए घोषित कर देते हैं। बैंकों की मदद मिले तो स्लो डाउन से उबरा जा सकता है।

रियल एस्टेट उभरे लेकिन जरूरत के मुताबिक

कारोबारियों ने कहा कि प्लाईवुड इंडस्ट्री सीधे तौर पर रियल एस्टेट से जुड़ी हुई है। उसमें बूम आने पर यह बाजार भी ऊपर उठेगा। प्लाईवुड कारोबारी हरी लकड़ी का इस्तेमाल करता है, जिसके लिए सरकार से लकड़ी नहीं खरीदनी होती। काश्तकार से ही लकड़ी खरीदी जाती है। प्लाईवुड का इस्तेमाल रियल एस्टेट इंडस्ट्री के बढ़ने से भरपूर उठेगा। इसलिए रियर एस्टेट भी उठे लेकिन एक जरूरत के मुताबिक। इसके लिए सरकार को सीमाएं तय करनी होगी। सरकार डाटाबेस मजबूत करे और कारोबारियों के लिए माहौल तैयार करे।

एनजीटी नए लाइसेंस देने के मूड में नहीं

प्लाईवुड का कारोबार पश्चिमी उप्र के साथ ही पंजाब व हरियाणा में भी है। इसी क्षेत्र में पॉपुलर और यूकेलिप्टिस के पेड़ों की तादात मिलती है। कारोबार के पहले कई लोगों को लाइसेंस मिलने के कारण एक प्रतिस्पर्धा बन गई थी। अपने यहां लकड़ी की मात्र जरूरत से कही अधिक हैं। बावजूद इसके एनजीटी नए लाइसेंस जारी करने के मूड में नहीं है। इसी के चलते बीते समय में कई लाइसेंस निरस्त भी किए गए हैं। 


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