Move to Jagran APP

Rohilkhand : जानिए इतिहास विभाग के ये Professor क्यों लिखेंगे नए सिरे से Hindustan का इतिहास Bareilly News

यूरोपियन अंग्रेज मार्क्‍सवादी और फिर राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने जानबूझकर जो गलतियां की हैं उन्हें सही किया जाएगा।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:56 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 05:59 PM (IST)
Rohilkhand : जानिए इतिहास विभाग के ये Professor क्यों लिखेंगे नए सिरे से Hindustan का इतिहास Bareilly News
Rohilkhand : जानिए इतिहास विभाग के ये Professor क्यों लिखेंगे नए सिरे से Hindustan का इतिहास Bareilly News

हिमांशु मिश्र, बरेली : देश का इतिहास अब नए सिरे से लिखा जाएगा। इसमें प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारियां तथ्यात्मक और मूल्यों पर आधारित दी जाएंगी। यूरोपियन, अंग्रेज, मार्क्‍सवादी और फिर राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने जानबूझकर जो गलतियां की हैं, उन्हें सही किया जाएगा। इसपर उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के महासचिव और रुहेलखंड विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. एके सिन्हा ने काम शुरू कर दिया है।

loksabha election banner

यूरोपियन ने भारत को गलत दिखाने की कोशिश की

प्रो. सिन्हा बताते हैं कि दसवीं शताब्दी में फारसी लेखक अलबेरूनी ने भारत को गलत तरीके से दुनिया में पेश करने की शुरूआत की थी। उसने लिखा था कि भारतीय लोगों में इतिहास की समझ नहीं है। फिर उसे यूरोपियन और अंग्रेजी इतिहासकारों ने अपने-अपने फायदे के लिए आगे बढ़ाया। प्रो. सिन्हा के मुताबिक, यूरोपियन इतिहासकारों ने लिखा कि भारतीय केवल धर्म और परंपराओं में डूबे रहते हैं। इन्हें बुनियादी चीजों से कोई लेना देना नहीं है।

अंग्रेजों ने खुद के फायदे के लिए तोड़ना शुरू किया

अंग्रेज भी यूरोपियन इतिहासकारों की तरह भारत को नीचा दिखाने में जुट गए। भारत पर कब्जा जमाने आए अंग्रेजों ने भारत का अध्ययन किया। यहां की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामजिक विरासत देख परेशान हो गए तो फूट डालने के लिए देश का गलत इतिहास पेश करना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने अपने इतिहास में भारतीयों को काफी पिछड़ा और असभ्य बताया है। यहां की सारी वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, कलात्मक और सामाजिक उपलब्धियों को दूसरों की उपलब्धि के रूप में पेश कर दिया।

नए इतिहास में सच्चाई पेश होगी

प्रो. एके सिन्हा बताते हैं कि इतिहास समाज का आईना होता है। इसमें सबकुछ समाहित होता है। फिर वह अर्थ व्यवस्था हो या सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक। सभी को सही तरीके से पेश करने से ही असली भारत को लोग समझ सकेंगे। इसमें विवेक पूर्ण समन्वय होगा। कुछ मसलों में मजबूत तथ्य होंगे तो कुछ को मूल्यों की प्रधानता से समझाने की कोशिश की जाएगी।

तैयारी में जुटे हैं इतिहासकार

वर्तमान दौर के इतिहासकारों ने इतिहास को नए सिरे से लिखना शुरू कर दिया है। 16-17 नवंबर को लखनऊ में उप्र इतिहास कांग्रेस का अधिवेशन होना है। इसमें कई इतिहासकार अपने विचार रखेंगे। इसके बाद जो पुस्तकें प्रकाशित होंगी, वे नए सिरे से लिखे गए इतिहास की होंगी।

अंग्रेजों के पद चिंहाे पर चले मार्क्‍सवादी इतिहासकारप्रो. सिन्हा बताते हैं कि आजादी के बाद कांग्रेस शासनकाल में मार्क्‍सवादी इतिहासकार हावी हो गए। सरकार से लेकर शिक्षण संस्थानों तक इनकी काफी संख्या थी। ऐसे में इन मार्क्‍सवादी इतिहासकारों ने भी अंग्रेजों की तरह देश को पिछड़ा और असभ्य बताने की कोशिश की। कहा कि यहां सबकुछ अर्थ व्यवस्था में निर्भर है। भारतीय लोगों में धार्मिक कट्टरता ज्यादा है। जाति, धर्म की परंपरा है। यहां के लोग गरीबों, दबे-कुचले, किसानों को प्रताड़ित करते थे। ये इतिहासकार धर्म को अफीम कहते थे। दूसरे पहलु को मार्क्‍सवादियों ने भी छिपा दिया। वहीं इसके बाद जब राष्ट्रवादी इतिहासकार आए तो उन्होंने कुछ चीजें पेश करने की कोशिश की लेकिन कुछ ये भी दबा ले गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.