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जानिए क्यों शाहजहांपुर में भालू बनकर घूम रहे ग्रामीण Shahjahanpur News

वन विभाग की अनदेखी और बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने अब नया ह‍थकंडा अपना रहे है। जिसके चलते ग्रामीण अब गांव में भालू बनकर घूम रहे है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 02:31 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 05:36 PM (IST)
जानिए क्यों शाहजहांपुर में भालू बनकर घूम रहे ग्रामीण Shahjahanpur News
जानिए क्यों शाहजहांपुर में भालू बनकर घूम रहे ग्रामीण Shahjahanpur News

जेएनएन, शाहजहांपुर : वन विभाग की अनदेखी और बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने अब नया ह‍थकंडा अपना रहे है। जिसके चलते ग्रामीण अब गांव में भालू बनकर घूम रहे है। ग्रामीणों को मजबूरी में भालू का चोंगा पहनकर घूमना पड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार बंदर अब तक सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुके है।जिससे परेशान होकर उन्हें यह करना पड़ रहा है।

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जलालाबाद तहसील के सिकंदपुर अफगानान गांव में ग्रामीणों ने भालुओं की ड्रेस मंगवाई है, जिसे पहनकर दो लोग बंदरों को भगाने का काम कर रहे हैं। ग्रामीणों के गांव में भालू बनकर घूमने से उन्हें बंदरों के आतंक से काफी निजात भी मिली है। 

ग्रामीणों की माने तो गांव में बंदरों की संख्या बहुत अधिक है। आए दिन बंदर लोगों को अपना शिकार बनाते है।बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी को काटते है। इससे निजात के लिए ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों को कई बार सूचित भी किया, लेकिन विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया।

ग्रामीणों को जानकारी हुई कि भालू से बंदर डरते हैं। जिस पर ग्रामीणों ने प्रयोग के तौर पर नकली भालू बनकर बंदरों को डराने का निर्णय लिया। इसके ग्रामीणों ने गांव में ही रहने वाले मेवाराम की मदद ली। उनसे 3400 रुपये की भालू की दो ड्रेस मंगवाई। जिसे पहनकर घूमने से बंदर पेड़ पर चढ़ जाते है। 

तीन साल से गांव में बंदरों का आतंक है। अब तक सौ से ज्यादा लोगों को काट चुके हैं। भालू बनकर घूमने से बंदर पास नहीं आते, लेकिन निजात नहीं मिल पा रही है। हालांकि बंदरों के लोगों को काटने में थोड़ी कमी आई है। समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है। 

वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की थी तो उन्होंने प्रति बंदर तीन सौ रुपये मांगे थे। हमने दो सौ रुपये देने की बात कही थी, लेकिन वह राजी नहीं हुए। इसलिए भालू की ड्रेस मंगवाई है। - रामलड़ैते मिश्र, ग्राम प्रधान 

बंदर कोई हिंसक पशु नहीं है। अगर कहीं से कोई शिकायत आती है तो सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर बंदर पकड़वाए जाते हैं। परीक्षण कराने के बाद जंगल में छोड़ दिया जाता है। लोग बंदरों को भगाने के लिए क्या तरीका अपना रहे हैं इस बारे में नहीं मालूम। - आदर्श कुमार, डीएफओ 


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