खरमास शुरु होने से मांगलिक कार्यक्रमों में लगा ब्रेक, जानिए कब से शुरु होंगे शुभ मुहुर्त
विवाह के लिए इस साल का शुभ मुहूर्त समाप्त हो चुका है। ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश मिश्रा बताते हैं कि इस बार दो खरमास हैं। गुरु और शुक्र तारा अस्त होने से करीब साढ़े तीन महीने तक मागंलिक कार्य नहीं होगे।
बरेली, जेएनएन। विवाह के लिए इस साल का शुभ मुहूर्त समाप्त हो चुका है। ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश मिश्रा बताते हैं कि इस बार दो खरमास हैं। गुरु और शुक्र तारा अस्त होने से करीब साढ़े तीन महीने तक मागंलिक कार्य नहीं होगे। देवशयनी एकादशी से देव प्रबोधिनी एकादशी तक चार महीने इंतजार के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत हुई थी। इनमें 25 से 30 नवंबर तक सबसे अधिक विवाह हुए थे।
15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास रहेगा। इसके बाद 16 जनवरी से 13 फरवरी तक गुरु अस्त होने से शुभ कार्य नहीं हो पाएंगे। इसी बीच 12 फरवरी से 17 फरवरी को शुक्र अस्त रहेगा। 15 मार्च से 13 अप्रैल तक फिर से खरमास रहने से किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करना वर्जित माना गया है। अगले साल 22 अप्रैल के बाद ही विवाह, उपनयन, गृह प्रवेश, मंदिर निर्माण, कुएं-बावड़ी का खनन किया जा सकेगा। इस साल जनवरी से मार्च तक होली से पहले 19 दिन ही मुहूर्त थे। फिर 15 मार्च से खरमास शुरू हो गया, इसके बाद कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में अप्रैल से जून तक 23 मुहूर्त निकल पाए। चातुर्मास के दौरान जुलाई से 24 नवंबर तक विवाह नहीं हो पाए। देवउठावनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू हुए। 13 दिसंबर तक विवाह मुहूर्त थे।
बसंत पंचमी पर नहीं होंगे मांगलिक कार्यक्रम
आने वाले वर्ष में 16 फरवरी को बसंत पंचमी है। इसे विवाह का अबूझ मुहूर्त माना जाता है। लेकिन इस दिन सूर्योदय के साथ शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। इस कारण इसे विवाह मुहूर्त में नहीं गिना जाएगा। हालांकि लोक परंपरा के चलते बसंत पंचमी पर विवाह होते हैं।
दिन के विवाह में भगवान भाष्कर होते हैं साक्षी
सनातन धर्म में मान्यता है कि दिन में विवाह कार्य अति शुभ रहता है। विवाह के साक्षी स्वयं भगवान सूर्य होते हैं। वर्ष 2021 में कई वैवाहिक शुभ तिथियां ऐसी हैं, जिनमें विवाह की लग्न दिन में है। वहीं वर्ष 2021 में बसंत पंचमी 16 फरवरी और फुलेरा दौज 15 मार्च पर शुक्र अस्त रहेगा। लेकिन लोक मान्यता व परंपरा के अनुसार विवाह कार्य किए जाएंगे। यह अबूझ तिथियां मानी जाती हैं। इसी प्रकार से देव प्रबोधिनी एकादशी पर विवाह लग्न की तिथि का अभाव है। लेकिन इस दिन भी लोक मान्यता व परंपरा के अनुसार विवाह कार्य होंगे।
2021 में हैं 55 से अधिक शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश मिश्र के मुताबिक 2021 में विवाह के 55 से अधिक शुभ मुहूर्त हैं। बृहस्पति और शुक्र ग्रह के कारण साल के शुरुआती महीनों में विवाह नहीं होंगे। संक्रांति के बाद 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त रहेगा। फिर 16 फरवरी से शुक्र तारा 17 अप्रैल तक अस्त रहेगा। इस कारण विवाह का दूसरा मुहूर्त 22 अप्रैल को है। इसके बाद देवशयनी से पहले यानी 15 जुलाई तक 37 दिन विवाह के मुहूर्त हैं।
यह होता है खरमास
खर का अर्थ दुष्ट होता है और मास का अर्थ महीना होता है। इस मास में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज हीन हो जाते हैं। मार्गशीर्ष और पौष का संधिकाल खरमास को जन्म देता है।