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Ram Mandir movement: बरेली से कूंच कर गए थे कारसेवक, अयोध्या के आस-पास छिपे रहे

30 अक्टूबर 1990..। अयोध्या में कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच की मौत होने के बाद बरेली का माहौल गर्मा गया था।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 09:34 AM (IST)
Ram Mandir movement: बरेली से कूंच कर गए थे कारसेवक, अयोध्या के आस-पास छिपे रहे
Ram Mandir movement: बरेली से कूंच कर गए थे कारसेवक, अयोध्या के आस-पास छिपे रहे

बरेली, जेएनएन : 30 अक्टूबर, 1990..। अयोध्या में कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच की मौत होने के बाद बरेली का माहौल गर्मा गया था। इस गोलीकांड के बाद दो साल तक बलिदान का फलीभूत करने की रणनीति बरेली से अयोध्या तक तैयार की गई।

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केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के मुताबिक कारसेवकों के बलिदान से गुस्साएं बरेली के विश्व हि‍ंंदू परिषद, बजरंग दल और राष्ट्रीय स्वयं सेवक दल के पदाधिकारियों ने अयोध्या के कूंच करने का मन बनाया था। दिसंबर 1992 में बरेली से करीब दो हजार लोग अयोध्या की तरफ कूंच गए। शाहजहांपुर, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई में जगह-जगह गिरफ्तारी हो रही थी। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को शाहजहांपुर में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बरेली के करीब डेढ़ सौ लोग अयोध्या के करीब पहुंचने में कामयाब हो गए थे। कई दिनों तक लोग छिपे रहे। गांव के लोगों से भोजन-पानी मिलता रहा। तय हुआ था कि छह दिसंबर को छिपते-छिपाते विवादित स्थल तक पहुंचना है। कुछ लोग सरयू नदी के किनारे-किनारे, कुछ रेल की पटरी और कुछ राष्ट्रीय राजमार्ग से ही निकल पड़े।

हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए, जो बाबरी मस्जिद के बिल्कुल करीब था। उमा भारती, अशोक सि‍ंंघल, स्वामी वामदेवी जैसे बड़े हि‍ंंदूवादी नेता हनुमान गढ़ी में कारसेवकों का नेतृत्व कर रहे थे। ये तीनों नेता अलग-अलग दिशाओं से करीब पांच-पांच हजार कारसेवकों के साथ हनुमान गढ़ी की ओर बढ़ रहे थे। प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन 30 अक्टूबर 1990 को मारे गए कारसेवकों के चलते लोग गुस्से से भरे थे। आसपास के घरों की छतों तक पर बंदूकधारी पुलिसकर्मी तैनात थे और किसी को भी बाबरी मस्जिद तक जाने की इजाजत नहीं थी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वह शाहजहांपुर की जेल में थे। जेल अधीक्षक के पास पहला फोन आया था। आखिरकार गोलीकांड के दो साल बाद 6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे को गिरा दिया गया।

अमूल्य निधि की तरह है उस दौर की यादें

केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार बताते हैं कि जीवन की अमूल्य निधि की तरह उस दौर की यादें हैं। जिन्हें हम संजोए हुए हैं। अब अयोध्या में मंदिर निर्माण होने की तारीख तय हो चुकी है। यह कारसेवा के दौरान बलिदान देने वालों के लिए और सभी रामभक्तों के प्रति हमारा संकल्प अब पूरा हो रहा है।


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